दो शब्द

हिन्दुओं के शास्त्रों में पवित्र वेद व गीता विशेष हैं, उनके साथ-2 अठारह पुराणों को भी समान दृष्टि से देखा जाता है। श्रीमद् भागवत सुधासागर, रामायण, महाभारत भी विशेष प्रमाणित शास्त्रों में से हैं। विशेष विचारणीय विषय यह है कि जिन पवित्र शास्त्रों को हिन्दुओं के शास्त्र कहा जाता है, जैसे पवित्र चारों वेद व पवित्र श्रीमद् भगवत गीता जी आदि, वास्तव में ये सद् शास्त्र केवल पवित्र हिन्दु धर्म के ही नहीं हैं। ये सर्व शास्त्र महर्षि व्यास जी द्वारा उस समय लिखे गए थे जब कोई अन्य धर्म नहीं था। इसलिए पवित्र वेद व पवित्र श्रीमद्भगवत गीता जी तथा पवित्र पुराणादि सर्व शास्त्र मानव मात्र के कल्याण के लिए हैं।

सर्व प्रथम पवित्र शास्त्र श्रीमद्भगवत गीता जी पर विचार करते हैं।

इस पुस्तक में श्रीमद्भगवत गीता का सम्पूर्ण सारांश है जिसमें प्रत्येक अध्याय का भिन्न-भिन्न विश्लेषण किया गया है। विश्व में एकमात्र गीता का यथार्थ प्रकाश किया गया है। मुझ दास (रामपाल) के अतिरिक्त वर्तमान तक गीता के गूढ़ रहस्यों को कोई उजागर नहीं कर सका। सभी ने कुछ शब्दों के अर्थ भी गलत किए हैं तथा श्लोकों का भावार्थ ही बदल दिया। उदाहरण के लिए गीता अध्याय 18 श्लोक 66 का भावार्थ है कि गीता ज्ञान दाता ने अपने से अन्य परमेश्वर की शरण में जाने के लिए कहा है। व्रज का अर्थ जाना है, परंतु मेरे अतिरिक्त सर्व अनुवादकों ने ‘‘व्रज’’ का अर्थ आना किया है। आश्चर्य की बात तो यह है कि गीता अध्याय 18 के ही श्लोक 62 में स्पष्ट व ठीक अर्थ किया है कि गीता बोलने वाले काल ब्रह्म ने अपने से अन्य परम अक्षर ब्रह्म यानि परमेश्वर की शरण में जाने को कहा है। वह परमेश्वर कौन है? इसका ज्ञान हिन्दू गुरूओं को नहीं है। जिस कारण से भोली जनता को भ्रमित करते रहे हैं कि श्री कृष्ण ने गीता का ज्ञान बोला तथा अपनी ही शरण में आने के लिए कहा है। जबकि अनेकों अध्यायों के श्लोकों में गीता ज्ञान दाता ने अपने से अन्य उत्तम पुरूष यानि पुरूषोत्तम अविनाशी परमेश्वर के विषय में स्पष्ट कहा कि वही परमात्मा कहा जाता है। तीनों लोकों में प्रवेश करके सबका धारण-पोषण करता है। प्रमाण - गीता अध्याय 15 श्लोक 17 में। इसके अतिरिक्त गीता अध्याय 8 श्लोक 3 में उसे परम अक्षर ब्रह्म कहा है। इसी अध्याय के श्लोक 8, 9, 10 में उस दिव्य परमपुरूष की भक्ति करने से साधक उसी को प्राप्त होता है। इसी अध्याय 8 के श्लोक 20, 21, 22 में उसी अन्य अमर परमात्मा (सत्य पुरूष) की महिमा कही है जो इस पवित्र पुस्तक में पढ़ने को मिलेंगे। आप अपने को धन्य समझेंगे।

हिन्दू धर्मगुरूओं को यह भी ज्ञान नहीं है कि गीता का ज्ञान श्री कृष्ण जी के शरीर में प्रवेश करके काल ब्रह्म ने कहा था। जैसे प्रेत किसी के शरीर में प्रवेश करके बोलता है। पढ़ें प्रमाण सहित सत्य गीता सार।

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