भाई बाले वाली जन्म साखी में अद्भुत प्रमाण
भाई बाले वाली ‘‘जन्म साखी’’ एक मान्य ग्रन्थ है जो गुरू ग्रन्थ की तरह ही सत्यज्ञान का प्रतीक माना जाता है जिसके ज्ञान को सिक्ख समाज परम सत्य मानता है क्योंकि यह जन्म साखी भाई बाला जी द्वारा आँखों देखा कानों सुना ज्ञान है जो श्री नानक देव साहेब जी ने बोला था तथा बाला जी ने बताया तथा दूसरे गुरू श्री अंगद जी ने लिखा था। जन्म साखी के पृष्ठ 299-300 पर ‘‘साखी कूना पर्वत की चली‘‘ में ‘‘गोष्टि सिद्धां नाल होई‘‘ है। इसमें प्रकरण है कि श्री गुरू नानक जी कूना पर्वत पर गए। उनके साथ भाई बाला जी तथा मर्दाना जी थे। कूना पर्वत की गुफा में कुछ सिद्ध पुरूष नाथ पंथ के रहते थे। उनके साथ ज्ञान गोष्ठी में श्री नानक जी ने प्रश्न के उत्तर में कहा था कि ‘‘ऐकंकार हमारा नाबं अपने गुरू की बलि जाऊँ।‘‘ (मर्दाने ने पूछा कि हे गुरू जी! क्या आपका भी कोई गुरू जी है?) तब नानक जी ने कहा कि हे मर्दाना! मेरा इतना बड़ा गुरू है जो बिना करतार की कृपा के अपनी दृष्टि में नहीं आता।
इससे आगे ‘‘साखी और चली‘‘ मीना पर्वत चले गए। तब मर्दाने ने पूछा कि हे गुरू जी! हम तो आपके साथ ही रहे हैं। आप जी को वह गुरू जी कब मिला था? गुरू नानक जी ने उत्तर दिया कि उस समय तक तुम मेरे पास नहीं आए थे। जब हम मिलने गए थे। तब मर्दाने ने कहा कि जी! कब मिलने गए थे? तब श्री नानक जी ने कहा कि जब सुल्तानपुर में बेई नदी में डुबकी लगाई थी। तब तीन दिन उसी के साथ रहे थे। हे मर्दाना! भाई बाला जानता है। हे मर्दाना! ऐसा गुरू है जिसकी सत्ता संपूर्ण संसार में आश्रय दे रही है। उसको जिन्दा बाबा कहते हैं। हे मर्दाना! जिन्दा उसी को कहते हैं जो काल के आधीन न आवै। अपितु काल उसके आधीन है।