कंवारी गाय का दूध पीने का कबीर सागर में प्रमाण
प्रमाण:- कबीर सागर अध्याय ‘‘ज्ञान सागर‘‘ पृष्ठ 74 (80)
अन्य प्रमाण:- सन्त गरीब दास जी की अमर वाणी में। जिस वाणी के विषय में परमेश्वर कबीर जी ने कहा था। धनी धर्मदास जी ने कबीर सागर के अध्याय ‘‘कबीर बानी‘‘ के पृष्ठ 137 में अंकित की है।
‘‘बारहवें पंथ प्रगट होवे बानी। शब्द हमारे का निर्णय ठानी।।
संवत सतरह सौ पछत्तर होई। ता दिन प्रेम प्रकटे सोई।।‘‘
बारहवां पंथ ‘‘गरीब दास पंथ‘‘ है। सन्त गरीब दास जी का जन्म संवत् 1774 में हुआ था। कबीर सागर में ‘‘कबीर बानी‘‘ अध्याय में पृष्ठ 136 पर गलती से 1775 प्रिन्ट है। सन्त गरीबदास जी ने परमेश्वर कबीर जी की महिमा यथार्थ रूप में कही है जो ‘‘सदग्रन्थ साहेब‘‘ गरीब दास में लिखी है। पारख के अंग में इस प्रकार लिखा:-
दूध न पीवत न अन्न भखत, न पालने में झूलंत।
दास गरीब कबीर पुरूष, कमल कला फूलंत।।
शिव उतरे शिव पुरी से, अवगति बदन विनोद।
नजर-नजर से मिल गई, लिया ईश कूं गोद।।
सात बार चर्चा करी, बोले बालक बैन।
शिव कूं कर मस्तिक धरा, ला मौमिन एक धेनू।।
अनब्यावर (कंवारी) को दूहत है, दूध दिया तत्काल।
पीव कबीर ब्रह्मगति, तहां शिव भया दयाल।।