स्वामी रामानन्द जी को जीवित करना

परमेश्वर कबीर जी ने अन्दर जाकर देखा रामान्नद जी का धड़ कहीं पर और सिर कहीं पर पड़ा था। शरीर पर चादर डाल रखी थी। कबीर साहेब ने अपने गुरुदेव के मृत शरीर को दण्डवत् प्रणाम किया और चरण छुए तथा कहा कि गुरुदेव उठो। दिल्ली के बादशाह आपके दर्शनार्थ आए हैं। एक बार उठना। दूसरी बार ही कहा था, सिर अपने आप उठकर धड़ पर लग गया और रामानन्द जी जीवित हो गए “बोलो सतगुरु देव की जय!”

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