श्री कृष्ण जी ने ताम्रध्वज को जीवित किया परंतु अभिमन्यु को क्यों नहीं कर सके?

प्रश्न:- धर्मदास जी ने प्रश्न किया, हे परमेश्वर कबीर बन्दी छोड़ जी! श्री कृष्ण जी ने राजा मोरध्वज के पुत्र ताम्रध्वज को आरे से बीचों-बीच चिरवाया। मुत्यु हो गई। तुरन्त ही जीवित कर दिया तथा आरे का निशान (चिन्ह) भी नहीं था। यह भगवान भी परमशक्ति युक्त सिद्ध हुए। इस विषय में मेरी शंका का समाधान किजिए।

उत्तर:- कबीर परमेश्वर जी ने कहा हे धर्मदास! राजा मोरध्वज के पुत्र ताम्रध्वज को तो भगवान श्री कृष्ण जी ने जीवित कर दिया। परन्तु अपने सगे भान्जे सुभद्रा पुत्र अभिमन्यु को जीवित नहीं कर सके। श्री कृष्ण जी की आँखों में आँसू थे, सुभद्रा रो रही थी पाण्डवों का वंश नष्ट हो रहा था।

कारण:- कबीर परमेश्वर जी ने बताया हे धर्मदास ताम्रध्वज के स्वांस (आयु) शेष थे इसलिए श्री कृष्ण जी ने ताम्रध्वज को जीवित कर दिया।

अभिमन्यु को इसलिए जीवित नहीं कर सके कि अभिमन्यु के स्वांस शेष नहीं थे। उसकी आयु शेष नहीं थी। ये भगवान कर्म लेख को परिवर्तित नहीं कर सकते। शरीर को काट के जोड़ देना तो इन भगवानों (ब्रह्मा,विष्णु तथा शिव) के बाएं हाथ का काम है। यह लीला जो एक जादूगर कर देता है। किसी व्यक्ति को बीच से काटा दिखा देता है। उसे फिर से जीवित कर देता है। परन्तु पूर्ण परमात्मा आयु भी बढ़ा देता है।

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