हजरत मुहम्मद जी में काल (ब्रह्म) तथा अन्य देव व पित्तर प्रवेश करके बोलते थे का प्रमाण
सर्व पवित्र धर्मों के श्रद्धालु वास्तविक ज्ञान तथा भक्ति विधि से वंचित हैं। वह वास्तविक तत्वज्ञान तथा भक्ति विधि मैं (कबीर परमेश्वर काशी वाला जुलाहा/धाणक) स्वयं ही बताने आया हूँ। मुझ पर विश्वास करो। और बताता हूँ (परमेश्वर कबीर साहेब जी ने अपने अमृत वचनों को जारी रखते हुए कहा)- मैंने एक मुल्ला द्वारा र्कुआन शरीफ की कुछ सूरतों का विवरण सुना था, उनमें निम्न विवरण लिखा है - र्कुआन शरीफ अर्थात् र्कुआन मजीद की प्राप्ति कैसे हुई? (र्कुआन शरीफ वाला ज्यों का त्यों विवरण र्कुआन मजीद में है)।
र्कुआन मजीद - तर्जुमा, फतेह मुहम्मद खां साहब जालंधरी, प्रकाशकः महमूद एण्ड कम्पनी, मरोल पाईप लाईन, बम्बई-59, सोल एजेंट, फरीद बुक डिपो, देहली-6
उपरोक्त पुस्तक के: मुकदमा के पृष्ठ 6-7 पर लिखे है -
‘‘र्कुआन मजीद के उतरने और संग्रह व संकलन करने के हालात‘‘
उपरोक्त पुस्तक र्कुआन मजीद के मुकदमा पृष्ठ 6-7 पर लिखें लेखक के लेख का निष्कर्ष -
र्कुआन मजीद (शरीफ) 23 वर्षों में पूरी लिखी गई। जब हजरत मुहम्मद जी की आयु 40 वर्ष थी उस समय से प्रारम्भ हुई तथा अन्तिम समय 63 वर्ष की आयु तक 23 वर्ष लगातार कभी एक आयत, कभी आधी, कभी दो आयत, कभी 10 आयत, कभी पूरी सूरतें उतरी हैं। इसी को शरीअत में ‘‘बह्य‘‘ कहते हैं। विद्वानों ने लिखा है ‘‘वह्य (वह्य)‘‘ उतरने के भिन्न-भिन्न तरीके हदीसों में पेश किए हैं।
- फरिश्ता ‘‘वह्य(वह्य)‘‘ ले कर आता था तो घंटियाँ सी बजती थी। नबी मुहम्मद जी की जान निकलने को हो जाती थी। यह तरीका ज्यादा कष्ट दायक नबी मुहम्मद जी के लिए होता था।
यह भी लिखा है कि हजरत मुहम्मद जी नुबूबत के बाद (चालीस वर्ष की आयु से नबी बनने के बाद) रमजान के दिनों में पूरा र्कुआन मजीद (शरीफ) अल्लाह के पास से उस आसमान से जिसे हम देख नहीं सकते हैं अल्लाह (प्रभु) के हुकम (आज्ञा) से उतारा गया अर्थात् उसी अल्लाह के द्वारा बोला गया। इसके बाद हजरत जिबराईल को जिस समय, जिस कदर हुकम (आज्ञा) हुआ, उन्होंने पवित्र कलाम को बिल्कुल वैसा ही बिना किसी परिवर्तन के नबी मुहम्मद जी तक पहुँचाया।
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कभी फरिश्ता दिल में कोई बात डाल दे।
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फरिश्ता आदमी के रूप में आकर बात करे। {नोट - हजरत मुहम्म्द जी की जीवनी में लिखा है कि जिस समय जिब्राईल फरिश्ता प्रथम बार वह्य (वह्य) लेकर आया मनुष्य रूप में दिखाई दिया, तो उसने मुहम्मद जी का गला घोंट कर कहा इसे पढ़ो। हजरत मुहम्मद जी ने बताया कि मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे, वह मेरा गला घोंट रहा हो। मेरे शरीर को दबा रहा हो। ऐसा दो बार किया फिर तीसरी बार फिर कहा पढ़ो। मुझे ऐसा लगा कि वह फिर गला घोटेंगा, इस बार और जोर से भींचेगा, मैं बोला क्या पढ़ूं ? र्कुआन की प्रथम आयत पढ़ाई, वह मुझे याद हो गई। फिर फरिश्ता चला गया, मैं घबरा गया। दिल बैठता जा रहा था। पूरा शरीर थर-थर कांपने लगा। गुफा के बाहर आकर सोचा यह कौन था। फिर वही फरिश्ता आदमी की सूरत में दिखाई दिया, जहाँ देखूं वही दिखाई देने लगा। ऊपर, नीचे, दांए, बांए सब ओर। घर आकर चादर ओढ़कर लेट गया। सारा शरीर पसीने से भीगा हुआ था। मुझे डर है कि खदीजा कहीं मर न जाऊँ। फिर हजरत मुहम्मद जी ने अपनी पत्नी खदीजा को सारी बात बताई, फिर एक ‘बरका‘ नामक व्यक्ति ने हजरत मुहम्मद जी से सारी बातें सुन कर कहा आप ‘नबी‘ बनोगे। यही फरिश्ता मूसा जी के पास भी आता था। उपरोक्त विवरण से तो सिद्ध होता है कि फरिश्ता आदमी रूप में वह्य लाता था तो भी हजरत मुहम्मद जी को बहुत कष्ट हुआ करता।}
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अल्लाह तआला जागते में नबी मुहम्मद (सल्ल) से कलाम फरमाए। भावार्थ है कि आकाशवाणी करके ब्रह्म स्वयं बोलता था।
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अल्लाह तआला सपने की हालत में कलाम फरमाए।
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फरिश्ता सपने की हालत में आकर कलाम करे(इस छठी व पाँचवी प्रकार पर विवाद है, शेष उपरोक्त र्कुआन मजीद(शरीफ) के उतरने की 4 सही हैं।) पृष्ठ 29 पर लिखा है कि कभी स्वयं ‘‘वह्य(वह्य)‘‘ आती थी। भावार्थ है कि जैसे कोई प्रेत प्रवेश करके बोलता है। कभी नबी मुहम्मद चादर लपेट कर लेट जाते थे, फिर चादर के अन्दर से बोलते थे।
पवित्र र्कुआन मजीद(शरीफ) के मुकदमा के पृष्ठ 6-7 के लिखे लेख से स्पष्ट है कि जिबराईल नामक फरिश्ते ने तो केवल संदेश वाहक का कार्य किया है। ज्ञान व आदेश देने वाला प्रभु अर्थात् काल भगवान एक देशीय साकार सिद्ध हुआ जो सातवें आसमान पर अव्यक्त रूप में है, जिसे देखा नहीं जा सकता। अव्यक्त का उदाहरण है जैसे सूर्य बादलों के पार होने के कारण अदृश्य (अव्यक्त) होता है। दिन होते हुए भी दिखाई नहीं देता। इसी प्रकार परमात्मा एक देशीय जाने तथा अपनी शक्ति से छुपा है। जिस कारण से उसे निराकार माना है। परन्तु भक्ति की सत्य साधना द्वारा उसे देखा जा सकता है। वह सत्य भक्ति विधि कुरान शरीफ में नहीं है क्योकि उस के लिए किसी बाखबर (तत्वदर्शी) से जानने को कहा है। र्कुआन शरीफ (मजीद) के ज्ञान दाता ने किसी अन्य कबीर नामक अल्लाह (प्रभु) को सर्व का पालन कर्ता, सर्व ब्रह्मण्डों का रचनहार, सर्व के पूजा के योग्य कहा है। र्कुआन शरीफ (मजीद) सूरत फुर्कानि 25 आयत 52 से 58 तथा 59 में वर्णन है। जिसमें र्कुआन ज्ञान दाता अल्लाह ने कहा है कि उस उपरोक्त अल्लाह कबीर या खबीर जिसे अल्लाहु अकबर भी कहा जाता है। उसके विषय में मैं(र्कुआन का ज्ञान दाता) नहीं जानता। उसके विषय में किसी बाखबर(तत्वदर्शी संत) से पूछो। वह कबीर अल्लाह छः दिन में सृष्टि की उत्पत्ति करके सातवें दिन तख्त पर जा विराजा। इससे यह भी सिद्ध होता है कि पूर्ण परमात्मा कबीर साकार है।
यही प्रमाण पवित्र बाईबल ‘‘उत्पत्ति ग्रंथ‘‘ में भी है। हजरत आदम के अल्लाह (प्रभु) ने पूर्ण परमात्मा के द्वारा रची सृष्टि का वर्णन किया है। छठे दिन परमेश्वर ने कहा कि हम मनुष्य को अपने स्वरूप में बनाएं। प्रभु ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार बनाया। फिर उनके खाने के लिए केवल फलदार वृक्ष तथा बीजदार पौधे दिये। माँस खाने की आज्ञा नहीं दी तथा सातवें दिन विश्राम किया।