यज्ञों से लाभ
यदि केवल उपरोक्त यज्ञ ही की जाएँ तो उस साधक को उसके अनुष्ठानों के अनुसार स्वर्ग (जन्नत) का सुख कुछ समय मिलता है। जन्नत में सुख भोगकर पाप कर्मों का फल नरक (जहन्नम) में भी भोगना पड़ता है। कुछ पाप ऐसे हैं जिनका फल पृथ्वी के ऊपर पशु, पक्षी, जन्तु आदि के जीवनों में भोगना पड़ता है। मानव शरीर भी मिल सकता है। यदि अधिक यज्ञ की होती हैं तो राजा भी बन जाता है। परंतु जन्म-मृत्यु का चक्र कभी समाप्त नहीं हो सकता। स्वर्ग व राज का समय बहुत कम होता है।