कुर्बानी की वास्तविक परिभाषा
विशेष परंपरा हो गई कि बकरा व गाय की कुर्बानी प्रभु के नाम पर की जाती है। (अब यहाँ व्यक्तियों को सोचना चाहिए कि कुर्बानी अपनी करनी चाहिए। प्रभु के नाम पर बकरे और गाय या मुर्गे की नहीं। वास्तव में कुर्बानी प्रभु के चरणों में समर्पण तथा सत्य भक्ति होती है। शीश काट देने तथा अविधिपूर्वक साधना करने से मुक्ति नहीं होती। यह तो काल की भूल भुलैया है। कुर्बानी गर्दन काटने से नहीं होती, समर्पण होने से होती है। प्रभु के निमित हृदय से समर्पित हो जाए कि हे प्रभु! तन भी तेरा, धन भी तेरा, यह दास या दासी भी तेरे, यह कुर्बानी प्रभु को पसंद है। हिसंा, हत्या खुदा कभी पसंद नहीं करता।)
सम्पूर्ण अध्यात्म ज्ञान किसने बताया?
कलामे कबीर (सूक्ष्मवेद) में सम्पूर्ण अध्यात्म ज्ञान है जो न चारों वेदों (ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद तथा अथर्ववेद) में है, न श्रीमद्भगवत गीता में, न पुराणों में, न उपनिषदों में, न श्रीमद्भागवत (सुधा सागर) में, न चारों पुस्तकों (जबूर, तौरेत, इंजिल तथा कुरआन मजीद) में। इन चारों पुस्तकों को इकठ्ठा जिल्द करके बाईबल नाम दिया है, वह ज्ञान बाईबल में भी नहीं है। प्रमाण के लिए पहले पढ़ें:-