कंवारी गाय के दूध से परवरिश लीला का वेद में प्रमाण

(ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 1 मन्त्र 9 में)

जब परमात्मा दूसरी प्रकार का शरीर धारण करके अर्थात् शिशु रूप धारण करके पृथ्वी पर प्रकट होता है उस समय उनके पालन की लीला कंवारी गौवों द्वारा होती है। कृप्या पढ़ें ऋग्वेद मण्डल 9 सुक्त 1 मंत्र 9 में जो निम्न हैं:-

अभी इमं अध्न्या उत श्रीणन्ति धेनवः शिशुम्। सोममिन्द्राय पातवे।।9।।
अभी इमम्-अध्न्या उत श्रीणन्ति धेनवः शिशुम् सोमम् इन्द्राय पातवे।

(उत) विशेष कर (इमम्) इस (शिशुम्) बालक रूप में प्रकट (सोमम्) पूर्ण परमात्मा अमर प्रभु की (इन्द्राय) सुखदायक सुविधा के लिए जो आवश्यक पदार्थ शरीर की (पातवे) वृद्धि के लिए चाहिए वह पूर्ति (अभी) पूर्ण तरह (अध्न्या धेनवः) जो गाय, सांड द्वारा कभी भी परेशान न की गई हों अर्थात् कुँवारी गायों द्वारा (श्रीणन्ति) परवरिश की जाती है।

भावार्थ:- पूर्ण परमात्मा अमर पुरुष जब लीला करता हुआा बालक रूप धारण करके स्वयं प्रकट होता है सुख-सुविधा के लिए जो आवश्यक पदार्थ शरीर वृद्धि के लिए चाहिए वह पूर्ति कुँवारी गायों द्वारा की जाती है अर्थात् उस समय (अध्नि धेनु) कुँवारी गाय अपने आप दूध देती है जिससे उस पूर्ण प्रभु की परवरिश होती है।

(महर्षि दयानन्द के अनुयाई आर्यसमाजियों के अनुवाद की फोटो कापी)

ऋग्वेद मण्डल 9 सुक्त 1 मंत्र 9

विशेष विवेचन:- यह ऋग्वेद मण्डल 9 सुक्त 1 मंत्र 9 की फोटो कापी है जो महर्षि दयानन्द के भक्तों द्वारा अनुवादित है। अनुवाद ठीक नहीं है, फिर भी बहुत स्पष्ट है। इसमें परमेश्वर के दूसरे प्रकार के शरीर की स्थिति का वर्णन है। जिस शरीर में परमात्मा शिशु रूप धारण करके वन (जंगल) में जल पर प्रकट होता है। उस समय उस बालक वेशधारी परमात्मा के पोषण की लीला कंवारी गौवों द्वारा होती है। यही प्रमाण पवित्र ‘‘कबीर सागर’’ नामक सद्ग्रंथ में है। जो आदरणीय धर्मदास जी द्वारा लगभग सन् 1500 के आसपास लिखा गया था। कबीर सागर के अध्याय ‘‘ज्ञान सागर‘‘ में पृष्ठ 74 पर लिखा है कि परमेश्वर कबीर जी शिशु रूप धारण करके ‘लहरतारा’ नामक सरोवर में कमल के फूल पर अपने द्यूलोक (सतलोक) से चलकर आकर विराजमान हुए। वहां उन्हें एक निःसन्तान जुलाहा दम्पति घर ले आया। बाल वेशधारी परमेश्वर ने कई दिनों तक कुछ नहीं खाया-पीया। फिर ऋषि रामानन्द जी के बताए अनुसार तथा एक सन्त रूप में प्रकट शिव जी के अनुसार कँवारी गाय लाई गई। परमेश्वर कबीर जी के आशीर्वाद से उस कँवारी गाय (बछिया) ने दूध दिया। वह बालक कविर्देव ने पीया। वह बछिया प्रतिदिन दूध देने लगी। इस प्रकार बालक रूप में प्रकट परमेश्वर की परवरिश की लीला हुई।

प्रमाण के लिए कृपया पढ़ें फोटोकापी कबीर सागर के अध्याय ‘‘ज्ञान सागर‘‘ के पृष्ठ 74 पर (इसी पुस्तक के पृष्ठ 23 पर फोटोकाॅपी) जिसमें स्पष्ट है कि परमेश्वर कबीर जी ने वही लीला की की थी जिसकी वेद गवाही दे रहे हैं कि परमात्मा ऐसी लीला करता है।

इससे स्वसिद्ध है कि ‘‘कबीर परमेश्वर है‘‘ (Kabir is God)

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