सर्व नाश के लिए शराब पीना पर्याप्त है
प्रश्न:- मुसलमान धर्म में शराब के निकट भी जाना हराम बताया है। इसके पीछे क्या राज है? पाकिस्तान देश के प्रधानमंत्री जुलफिकार भुट्टो को इसी बात पर फाँसी दे दी गई थी कि उन्होंने शराब पी ली थी।
उत्तर:- मुहम्मद साहब के समय में दैत्यों (राक्षसों) के रहने की जगह खैबर थी। मुहम्मद साहब ने अली से कहा कि जिबराईल मेरे पास इस्मआजम लाये थे। वह मुझसे सीख जाओ वहाँ के खजाने से धन ले जाओ। यदि तुमसे कोई सामना करे तो उससे लड़ो डरो मत। क्योंकि इस्मआजम जिसके पास होता है उसकी सर्वदा विजय होती है। अली इस्मआजम को सीखकर वहाँ गये पर विजय प्राप्ति नहीं हुई। क्योंकि उस गढ़ में एक महात्मा रहता था। जिसकी रक्षा में वहाँ के रहने वाले थे। उसी महात्मा की कृपा से कोई किला ले नहीं सकता था। जब हजरत अली किले को न जीत सका तो मुहम्मद साहब ने उन्हें स्वप्न में उपदेश दिया कि ऐ अली! इस शहर में एक फकीर रहता है उसे किसी न किसी उपाय से शराब खाने के निकट ले जा। उसकी नाक में शराब की गन्ध आवेगी तो उसका माहात्म्य जाता रहेगा। जागने के बाद अली ने वैसा ही किया। उस फकीर की नाक में मद्य की गन्ध पहुँचते ही उसका माहात्म्य जाता रहा। उसकी तपस्या और भजन का सब फल नष्ट हो गया। अली ने फिर से गढ़ पर चढ़ाई की। किले को जीत लिया उस फकीर को भी कतल कर दिया। (केवल शराब की गन्ध से उसकी वर्षों की तपस्या और भजन का प्रभाव जाता रहा। जो नित्य मद्य पीते हैं उनकी क्या गति होगी?)
फरिश्ते हारूत और मारूत की शराब से दुर्दशा (Tale of Harut & Marut)
अन्य प्रमाण:- फरिश्ते हारूत और मारूत की शराब से दुर्दशा-तफसीर अजीजी में अबिन हरीरा व इब्र हातिम हाकिम, इब्र अब्बास व इब्र अबदुल्लाह और इब्र उम्र आदिक ने कहा कि अदरीस पैगम्बर के समय पापी लोग आसमान पर चढे फरिश्ते मनुष्यों से घृणा करने लगे। खुदा ने कहा कि मनुष्यों में काम और क्रोध भरा हुआ है। इस कारण उनका मन पाप की ओर झुकता है। यहाँ तक कि यदि तुम पृथ्वी पर भेजे जाओ तो पाप करने से तुम भी नहीं बच सकोगे।
फरिश्तों ने खुदा के वचन पर विश्वास न किया कहा कि हम पृथ्वी में जाकर किसी प्रकार का पाप न करेंगे। खुदा ने कहा तुम अपने में से ऐसे दो फरिश्ते भेजो जिसके कि बिगड़ने की तुम्हें किसी प्रकार की शंका न हो। फरिश्तों ने अपने में से तपस्या और भजन में सबसे अधिक प्रतिष्ठित हारूत और मारूत (Harut and Marut) नामक फरिश्ते खुदा के समक्ष उपस्थित किया। खुदा ने उनको पृथ्वी पर भेजा कि तुम जाकर मनुष्यों को उपदेश करो, सावधान कोई पाप न करना। दोनों पृथ्वी पर आये मनुष्यों को उपदेश करने लगे। कुछ दिनों के बाद एक महासुंदरी पंुश्चली जुहरा (Zohra) नामक स्त्री पर दोनों आसक्त हो गये। उससे अपने काम वृत्ति को प्रगट किया। उसने कहा कि यदि तुम मुझे चाहते हो तो मेरी चार बातों में से किसी एक को स्वीकार करो। तब तुम्हारी इच्छा पूरी होगी।
वह चार बातें यह हैं:-
- प्रथम मेरे पति का वध करो,
- दूसरी मेरे बुत्त को दण्डवत् करो,
- तीसरी शराब पीओ,
- चौथी मुझे इस्मआजम बतलाओ।
उन्होंने सब तो महापाप समझा पर मद्य का पीना सुगम समझकर पीलिया। जब मद्य का नशा चढ़ा तो उसकी प्रतिमा को भी दण्डवत किया। उसके पति को मारा, जुहरा को इस्मआजम भी सिखला दिया। जुहरा तो इस्मआजम के बल से आसमान को उड़ गई। पर खुदा ने हारूत-मारूत के पैरों में जंजीर बाँधकर बाबील के कूँए में लटकवा दिया।