प्रह्लाद भक्त की भविष्यवाणी

जागो रे परमेश्वर के चाहने वालों ! प्रकट हो चुका है जगावणहार (तारणहार)

‘‘भाई बाले वाली जन्म साखी में प्रमाण’’

‘‘एक महापुरूष के विषय में भाई बाले वाली जन्म साखी में प्रह्लाद भक्त की भविष्यवाणी’’

भाई बाले वाली जन्म साखी में लिखा गया विवरण स्पष्ट करता है कि संत रामपाल दास जी महाराज ही वह अवतार है जिन्हें परमेश्वर कबीर जी तथा संत नानक जी के पश्चात् पंजाब की धरती पर अवतरित होना था। सन्त रामपाल दास जी महाराज 8 सितम्बर सन् 1951 को गांव धनाना, जिला सोनीपत, हरियाणा प्रान्त (उस समय पंजाब प्रान्त) भारत की पवित्र धरती पर श्री नन्द राम जाट के घर जाट वर्ण में श्रीमति इन्द्रा देवी की कोख से जन्में।

इस विषय में ’’जन्म साखी भाई बाले वाली’’ हिन्दी वाली में जिसके प्रकाशक हैं:- भाई जवाहर सिंह कृपाल सिंह एण्ड कम्पनी पुस्तकां वाले, बाजार माई सेवां, अमृतसर (पंजाब) तथा पंजाबी वाली के प्रकाशक है:- भाई जवाहर सिंह कृपाल सिंह पुस्तकां वाले गली-8 बाग रामानन्द अमृतसर (पंजाब)।

इसमें लिखा अमर लेख इस प्रकार है:- एक समय भाई बाला तथा मरदाना को साथ लेकर सतगुरु नानक देव जी भक्त प्रह्लाद जी के लोक में गए। जो पृथ्वी से कई लाख कोस दूर अन्तरिक्ष में है। प्रह्लाद ने कहा कि हे नानक जी! आप को परमात्मा ने दिव्य दृष्टि दी तथा कलयुग में बड़ा भक्त बनाया है। आप का कलयुग में बहुत प्रताप होगा। यहां पर (प्रह्लाद के लोक में) पहले कबीर जी आये थे या आज आप आये हो एक और आयेगा जो आप दोनों जैसा ही महापुरूष होगा। इन तीनों के अतिरिक्त यहां मेरे लोक में कोई नहीं आ सकता। भक्त बहुत हो चुके हैं आगे भी होगें परन्तु यहां मेरे लोक में वही पहुँच सकता है, जो इन जैसी महिमा वाला होगा और कोई नहीं। इसलिए इन तीनों के अतिरिक्त यहां कोई नहीं आ सकता। मरदाने ने पूछा कि हे प्रह्लाद जी! कबीर जी जुलाहा थे, नानक जी खत्री हैं, वह तीसरा किस वर्ण (जाति) से तथा किस धरती पर अवतरित होगा।

प्रह्लाद भक्त ने कहा भाई सुन:- नानक जी के सच्चखण्ड जाने के सैकड़ों वर्ष पश्चात् पंजाब की धरती पर जाट वर्ण में जन्म लेगा तथा उसका प्रचार क्षेत्र शहर बरवाला होगा। (लेख समाप्त)

विवेचन:- संत रामपाल दास जी महाराज वही अवतार हैं जो अन्य प्रमाणों के साथ-2 जन्म साखी में लिखे वर्णन पर खरे उतरते हैं। जन्म साखी में ‘‘सौ वर्ष के पश्चात्’’ लिखा है। यहां पर सैकड़ों वर्ष पश्चात् कहा गया था जिसको पंजाबी भाषा में लिखते समय सौ वर्ष ही लिख दिया। क्योंकि मर्दाना ने पूछा था कि वह कौन से युग में नजदीक ही आयेगा? तब भक्त प्रह्लाद ने कहा कि श्री नानक जी के सैकड़ों वर्ष पश्चात् कलयुग में ही वह संत जाट वर्ण में जन्म लेगा। इसी लिए यहां सौ वर्ष के स्थान पर सैकड़ों वर्षों ही न्यायोचित है तथा प्रचार क्षेत्र बरवाला के स्थान पर बटाला लिखा गया है। इसके दो कारण हो सकते हैं कि ‘‘शहर बरवाला’’ जिला हिसार हरियाणा (उस समय पंजाब) प्रान्त में सुप्रसिद्ध नहीं था तथा बटाला शहर पंजाब प्रान्त में प्रसिद्ध था। लेखनकर्ता ने इस कारण से ‘‘बरवाला’’ के स्थान पर ‘‘बटाला’’ लिख दिया दूसरा प्रिन्ट करते समय ‘‘अतअूसल’’ की जगह ‘‘अजूसल’’ प्रिंट हो गया है। एक और विशेष विचारणीय पहलू है कि पंजाब के बटाला शहर में कोई भी जाट संत नहीं हुआ है। जो इन महापुरूषों (परमेश्वर कबीर देव जी व श्री नानक देव जी) के समान महिमावान तथा इनके समान ज्ञानवान हुआ हो। इस आधार से तथा अन्य प्रमाणों के आधार से तथा इस जन्म साखी के आधार से स्पष्ट है कि वह तीसरे महापुरूष संत रामपाल दास जी महाराज हैं तथा इनका आध्यात्मिक ज्ञान भी इन दोनों महापुरूषों (परमेश्वर कबीर जी तथा श्री नानक देव जी) से मेल खाता है। आप देखेंगे दोनों फोटो कापी जो जन्म साखी भाई बाले वाली जो कि एक पंजाबी भाषा में है तथा दूसरी हिन्दी में है जो कि पंजाबी भाषा से ही अनुवादित है। इसमें कुछ प्रकरण ठीक नहीं लिखा है। जैसे पंजाबी भाषा में लिखा है कि ‘‘जो इस जीहा कोई होवेगा तां एथे पहुँचेगा होर दा एथे पहुँचण दा कम नही’’ परन्तु हिन्दी वाली जन्म साखी में यह विवरण नहीं है जो बहुत महत्वपूर्ण है। इससे सिद्ध है कि लिखते समय कुछ प्रकरण बदल जाता है। फिर भी ढेर सारे प्रमाण जो इस पुस्तक में अन्य महापुरूषों के द्वारा सन्त रामपाल दास जी के विषय में कहे हैं वे भी इसी को प्रमाणित करते हैं।

विशेष:- यदि कोई यह कहे कि जन्म साखी में लिखी व्याख्या सन्त गरीबदास जी गांव छुड़ानी वाले के लिए हैं। क्योंकि वे भी जाट जाति से थे तथा छुड़ानी गांव भी पहले पंजाब प्रांत के अन्तर्गत आता था। यह भी उचित नहीं लगती क्योंकि संत गरीबदास जी ने अपनी अमृतवाणी ‘‘असुर निकंदन रमैणी’’ में कहा है कि ‘‘सतगुरु दिल्ली मण्डल आयसी, सूती धरनी सूम जगायसी’’ भावार्थ है कि संत गरीबदास जी के सतगुरु पूज्य कबीर साहेब जी थे। पुराना रोहतक जिला (सोनीपत, रोहतक तथा झज्जर को मिला कर एक जिला रोहतक था) दिल्ली मण्डल में लगता था। यह किसी राजा के आधीन नहीं था। अग्रेंजो के शासन काल में दिल्ली के आधीन था। सन्त गरीबदास जी ने स्पष्ट किया है कि सतगुरु (परमेश्वर कबीर जी) दिल्ली मण्डल में आऐंगे भक्तिहीन प्राणियों को जगाऐंगे सत्यभक्ति कराऐंगे। (ध्यान रहे कबीर सागर में काल के दूतों ने मिलावट करके सत्य को न जानकर अपनी अटकल बाजी से असत्य प्रमाण दिए हैं। उसका नाश करने के लिए परमेश्वर कबीर जी ने अपने अंश अवतार सन्त गरीब दास जी द्वारा यथार्थ ज्ञान प्रचार करवाया है। जो सन्त गरीब दास जी की अमृतवाणी रूप में है। इसी बात की पुष्टि ‘‘कबीर सागर के सम्पादक कबीर पंथी श्री युगलानन्द बिहारी जी की उस टिप्पणी से होती है जो उन्होंने अनुराग सागर तथा ज्ञान सागर की भूमिका में की है कहा है कि कबीर पंथियों ने ही कबीर पंथ के ग्रन्थों का नाश कर रखा है। अपने-2 मते अनुसार फेर बदल करके अपने मत को जोड़ा है। मेरे पास अनुराग सागर तथा ज्ञान सागर की कई-2 प्रतियाँ रखी हैं। जिनमें से एक दूसरे से मेल नहीं खा रही हैं।)

सन्त रामपाल दास जी महाराज का जन्म श्री नन्द राम जाट के घर 8 सितम्बर 1951 को गांव-धनाना जिला सोनीपत (उस समय जिला रोहतक) में हुआ था। जो वर्तमान हरियाणा तथा पंजाब प्रांत मिलकर, उस समय एक ही ‘पंजाब’ प्रांत था। परमेश्वर कबीर जी ने भी कहा था कि जिस समय कलयुग 5500 वर्ष बीत चुका होगा मैं गरीबदास वाले बारहवें पंथ में आगे स्वयं आऊँगा। सन्त गरीबदास जी द्वारा मेरी (कबीर परमेश्वर की) महिमा की वाणी प्रकट होगी तथा गरीबदास वाले बारहवें पंथ तक के साधक मुझे आधार बनाकर वाणी को समझने की कोशिश करेंगे परन्तु वाणी को न समझ कर सतनाम तथा सारनाम से वंचित रहने के कारण असंख्य जन्म तक सत्यलोक प्राप्ति नहीं कर सकते। उसी बारहवें पंथ (गरीबदास जी वाले पंथ) में मैं (परमेश्वर कबीर जी) ही स्वयं चलकर आऊँगा। तब सन्त गरीबदास जी द्वारा प्रकट की गई वाणी को मैं (कबीर परमेश्वर) प्रकट होकर समझाऊँगा।

इस से सिद्ध हुआ कि जन्म साखी में जिस जाट सन्त के विषय में कहा है निरविवाद रूप से वह संत रामपाल दास जी महाराज जी ही हैं। फिर भी हम संत गरीबदास जी का विशेष आदर करते हैं। क्योंकि उन्होंने परमेश्वर कबीर जी का अमर संदेश सुनाया है।

यदि कोई भ्रम उत्पन्न करे की दस गुरु साहिबानों में से भी किसी की ओर संकेत हो सकता है। इसके लिए स्मरण रहे कि दस सिख गुरु साहिबानों में से कोई भी जाट वर्ण से नहीं थे। दूसरे सिख गुरु श्री अंगद देव जी खत्री थे। तीसरे गुरु जी श्री अमर दास जी भी खत्री थे। चैथे गुरु जी श्री रामदास जी खत्री थे तथा पांचवें गुरु जी श्री अर्जुन देव जी से लेकर दसवें तथा अन्तिम श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी तक श्री गुरु रामदास जी की सन्तान अर्थात् खत्री थे। फिर भी हम सभी सिख गुरु साहिबानों का विशेष आदर करते हैं।

संत रामपाल दास जी महाराज कहते हैं:-

जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा,
हिन्दु मुसलिम, सिख, ईसाई, धर्म नहीं कोई न्यारा।।

परमेश्वर कबीर जी ने कहा है:-

जाति ना पूछो संत की, पूछ लीजिए ज्ञान।
मोल करो तलवार का, पड़ी रहन दो म्यान।।

कृप्या प्रमाण के लिए देखें फोटो कापी जन्म साखी पंजाबी गुरुमुखी (पंजाबी भाषा) वाली तथा हिन्दी वाली दोनों में आप जी सहज में समझ सकते हो कि वास्तविक्ता क्या है। जन्म साखियों के प्रकाशक हैं:- भाई जवाहर सिंह कृपाल सिंह अमृतसर (पंजाब)।

कृप्या देखें फोटो कापी जन्म साखी भाई बाले वाली पंजाबी भाषा वाली के पृष्ठ 272 की।

कृप्या देखें फोटो कापी जन्म साखी भाई बाले वाली (पंजाबी भाषा)के पृष्ठ 273 की।

कृप्या देखें फोटो कापी जन्म साखी भाई बाले वाली (हिन्दी) के पृष्ठ 305 की

प्रश्न: एक संस्कृत के विद्वान शास्त्री ने कहा कि आप के गुरु संत रामपाल दास जी महाराज संस्कृत नहीं पढ़े हैं। आप कहते हो कि उन्होंने श्री मद्भगवत् गीता का यथार्थ अनुवाद करके भक्तों को बताते हैं। यह कभी नहीं हो सकता।

उत्तर: सन्त रामपाल दास जी महाराज के भक्त ने उत्तर दिया शास्त्री जी उसी को परमेश्वर का अवतार कहते हैं। जो भाषा का ज्ञान न होते हुए यथार्थ अनुवाद कर दें। क्योंकि परमेश्वर सर्वज्ञ है। उन्हीं गुणों से युक्त उसका भेजा हुआ अवतार होता है। वह अवतार सन्त रामपाल दास जी महाराज जी हैं। आप तो केवल वेदों और गीता के अनुवाद से अचम्भित हैं। सन्त रामपाल दास जी महाराज ने तो बाईबल तथा कुरान को यथार्थ रूप में बताया है। जिसे ईसाई धर्म के वर्तमान के फादर व पादरी तथा मुसलमान धर्म के मुल्ला व काजी भी नहीं समझ सके। कृप्या पढ़िए पुस्तक ‘‘ज्ञान गंगा’’ में।

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