पवित्र र्कुआन् शरीफ ने प्रभु के विषय में क्या बताया है?

परम पूज्य कबीर परमेश्वर ने कहना प्रारम्भ किया। पवित्र र्कुआन शरीफ सुरत फुर्कानि स. 25 आयत 52, 58, 59 में जिस कबीर अल्लाह का विवरण है वह पूर्ण परमात्मा है। जिसे अल्लाहु अकबर(अकबीरू) कहते हो। र्कुआन शरीफ का ज्ञान दाता अल्लाह किसी अन्य कबीर नामक अल्लाह की महिमा का गुणगान कर रहा है। आयत सं. 52, 58 तथा 59 में हजरत मुहम्मद जी को र्कुआन शरीफ के ज्ञान दाता प्रभु ने कहा है कि हे नबी मुहम्मद ! जो कबीर नामक अल्लाह है उसने सर्व ब्रह्मण्डांे की रचना की है। वही सर्व पाप नाश (क्षमा) करने वाला है तथा सर्व के पूजा करने योग्य है(इबादही कबीरा अर्थात् पूजा के योग्य कबीर)। उसी ने जमीन तथा आसमान के मध्य जो कुछ भी है सर्व की रचना छः दिन में की है तथा सातवें दिन आसमान में तख्त पर जा विराजा। काफिर लोग उस कबीर प्रभु (अल्लाहु अकबर) को सर्व शक्तिमान प्रभु नहीं मानते। आप उनकी बातों में मत आना। उनका कहा मत मानना। मेरे द्वारा दिए र्कुआन शरीफ की दलीलों पर विश्वास रखना तथा अहिंसा के साथ कबीर अल्लाह के लिए संघर्ष (जिहाद) करना, लड़ाई नहीं करना(सूरत फुर्कानि आयत 52)। उस परमात्मा कबीर (अल्लाहु अकबर) की भक्ति विधि तथा उसके विषय में पूर्ण ज्ञान मुझे नहीं है। उस सर्व शक्तिमान, सर्व ब्रह्मण्डों के रचनहार, सर्व पाप नाशक, सर्व के पूजा योग्य कबीर अल्लाह की पूजा के विषय में किसी तत्वदर्शी (बाहखबर) संत से पूछो। कबीर परमेश्वर ने कहा शेखतकी जी आपके अल्लाह को ही ज्ञान नहीं है तो आप के हजरत मुहम्मद साहेब जी को कैसे पूर्ण ज्ञान हो सकता है? तथा अन्य काजी, मुल्ला तथा पीर भी सत्य साधना तथा तत्वज्ञान से वंचित हैं। जिस कारण से साधक के कष्ट का निवारण नहीं होता। अन्य साधना जैसे पाँच समय नमाज, बंग आदि देने से मोक्ष तथा कष्ट निवारण नहीं होता। जन्म-मृत्यु तथा स्वर्ग-नरक तथा अन्य प्राणियों के शरीरों में भी किए कर्म के आधार से कष्ट भोगना पड़ता है।

उपरोक्त वार्ता सुनकर शेखतकी ने तुरन्त र्कुआन शरीफ को खोला तथा सूरत फुर्कानि संख्या 25 आयत 52, 58, 59 को पढ़ा जिसमें उपरोक्त विवरण सही था। वास्तविकता को आँखों देखकर भी मानहानि के भय से कहा कि ऐसा कहीं नही ंलिखा है। यह काफिर झूठ बोल रहा है। उस समय शिक्षा का अभाव था। मुसलमान समाज अरबी भाषा से परिचित नहीं था। र्कुआन शरीफ अरबी भाषा में लिखी थी। बादशाह सिकंदर को भी शंका हो गई कि परमेश्वर कबीर साहेब जी भले ही शक्ति युक्त हैं परन्तु अशिक्षित होने के कारण र्कुआन शरीफ के विषय में नहीं जान सकते।

शेखतकी ने जले-भुने वचन बोले क्या तू ही है वह बाखबर? फिर बता दे वह अल्लाहु अकबर कैसा है? यदि परमात्मा को साकार कहता है तो कौन है? कहाँ रहता है?

परमेश्वर कबीर साहेब जी ने कहा:- वह कबीर अल्लाह जिसे आप अल्लाहू अकबर कहते हो मैं ही हूँ। मैं ऊपर सतलोक में रहता हूँ। मैंने ही सर्व ब्रह्मण्डों की रचना की है। मैं हजरत मुहम्मद जी को भी जिन्दा संत का रूप धारण करके मिला था तथा उस प्यारी आत्मा को सतलोक दिखाकर वापिस छोड़ा था। हजरत मुहम्मद से कहा था कि आप अब मेरी महिमा सर्व अनुयाईयों को सुनाओ। परन्तु जिबराईल फरिश्ते के भय के कारण तत्व ज्ञान का प्रचार नहीं किया तथा न मेरी बातों पर विश्वास किया। क्योंकि उससे पूर्व जिबराईल देवता हजरत मुहम्मद जी को पितर लोक में घुमा लाया था। जहाँ पर हजरत मुहम्मद जी ने अपने पूर्वज बाबा आदम को देखा जो दांई ओर मुंह करके हंस रहा था तथा बांई ओर मुंह करके रो रहा था। जिबराईल से हजरत मुहम्मद जी ने पूछा कि यह व्यक्ति कौन है, जो एक बार हंस रहा है एक बार रो रहा है ? जिबराईल ने बताया यह बाबा आदम है। दांई ओर स्वर्ग में इनकी पुण्य कर्मी संतान है तथा बांई ओर नरक में बुरी संतान कष्ट उठा रही है। इसलिए जब नेक संतान को स्वर्ग में सुखी देखता है तो हँसता है। जब बांई ओर बुरी संतान को महाकष्ट से नरक में पीड़ित देखता है तो बुरी तरह रोता है। इसी लोक में अन्य स्थान पर हजरत मूसा तथा हजरत ईसा जी आदि को भी देखा। उनसे हजरत मुहम्मद जी की वार्ता हुई। इस कारण से हजरत मुहम्मद जी काल के जाल को न समझ कर उसी स्थान को वास्तविक ठिकाना मान चुका था क्योंकि वहाँ पितर लोक में पवित्र ईसाई धर्म तथा पवित्र मुसलमान धर्म के पूज्य बाबा आदम भी थे तथा अन्य नबी भी विराजमान थे।

प्रश्न:- परमेश्वर कबीर जी ने शेखतकी से प्रश्न किया कि क्या आप

पुनर्जन्म को मानते हैं?

उत्तर:- शेखतकी ने कहा कि नहीं मानता। हम मानते हैं कि ‘‘बाबा आदम से हमारा वंश चला है। हमारे अल्लाह का विधान है कि एक बार सृष्टि रचना हो चुकी है। फिर इसका अन्त होगा, इसके पश्चात् कुछ नहीं है। इसी दौरान जो मनुष्य जन्म लेंगे जो अल्लाह के आदेशानुसार चलेगा, इबादत (पूजा) करेगा, वह जन्नत में जाएगा। जो अल्लाह की आज्ञा का पालन नहीं करेगा वह नरक (जहन्नुम) में जाएगा। दोनों प्रकार के व्यक्ति मरते जाऐंगे। उनको कब्र में रखा जाएगा। जिस समय आखरित (सृष्टि का नाश होगा उस समय) में सब को कब्रों से निकाला जाएगा, जिन्दा किया जाएगा। भक्तों को जन्नत (स्वर्ग) में और पापियों को जहन्नुम (नरक) में रखा जाएगा। बस! आगे कुछ नहीं।

प्रश्न:- कबीर जी ने पूछा हे शेखतकी जी! क्या आखरित (सृष्टि विनाश)

तक बाबा आदम से लेकर आज तक के सर्व पैगंबर तथा सामान्य व्यक्ति कब्रों में रहेंगे?

उत्तर:- शेखतकी ने कहा हाँ, ऐसा ही विधान है।

प्रश्न:- परमेश्वर कबीर जी ने कहा कि जैसा आप बताते हैं कि हजरत मुहम्मद जी जब एक गधे नुमा जानवर बुराक पर बैठ कर जन्नत (स्वर्ग) में गए। उस समय उन्होंने बाबा आदम तथा उनकी अच्छी सन्तान (स्वर्ग में सुखी) और बुरी सन्तान (नरक में दुखी) देखी। बाबा आदम को हँसते-रोते देखा। हजरत मुहम्मद जी ने ऊपर स्वर्ग में सर्व नबियों का समूह (जमात) देखा। जिन में मुसा जी, इसा जी, अब्राहम आदि को भी ऊपर स्वर्ग में देखा। उनको वहाँ नमाज पढ़ाई। वे वहाँ कैसे चले गए? उनको तो आपके अज्ञान विधानानुसार तो कब्रों में रहना चाहिए था। यदि आप के विधान को ठीक मानें तो सृष्टि अन्त (आखरित) तो अरबों वर्षों के पश्चात् होगी। तब तक तो भक्त भी उन कब्रों में भूखे-प्यासे तड़फते होंगे। फिर कभी कयामत (विनाश) समय अरबों वर्षों पश्चात् आएगा तब वे जन्नत (स्वर्ग) को प्राप्त होंगे। धिक्कार है ऐसी जन्नत को।

इस वार्ता को सुन कर उपस्थित बुद्धिमान निष्पक्ष मुसलमान आश्चर्यचकित रह गए तथा कबीर जी से दीक्षा ली। परन्तु शेखतकी पीर की बोलती बंद हो गई। सच स्वीकार नहीं किया, उल्टा क्रोधवश उठकर चल दिया तथा प्रतिशोध की योजना बनाने लगा। कबीर परमेश्वर जी ने कहा है:-

जान बूझ साची तजै, करै झूठ से नेह। ताकि संगति हे प्रभु, स्वपन में भी ना दे।।

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