भक्त हो नीयत का पूरा
कुछ वर्ष पश्चात् अब्राहिम भ्रमण पर निकला। एक सेठ का बाग था। उसको नौकर की आवश्यकता थी। सुल्तान को पकड़कर बाग की रखवाली के लिए रख दिया। एक वर्ष पश्चात् सेठ बाग में आया। उसने अब्राहिम से अनार लाने को कहा। अनार लाकर सेठ को दे दिए। अनार खट्टे थे। सेठ ने कहा कि तेरे को एक वर्ष में यह भी पता नहीं चला कि मीठे अनार कैसे होते हैं?
सुल्तान ने कहा कि सेठ जी! आपने मेरे को बाग की सुरक्षा के लिए रखा है, बाग उजाड़ने के लिए नहीं। यदि रक्षक ही भक्षक हो जाएगा तो बात कैसे बनेगी? मैंने कभी कोई फल खाया ही नहीं तो खट्टे-मीठे का ज्ञान कैसे हो सकता है? सेठ ने अन्य नौकरों से पूछा तो नौकरों ने बताया कि यह नौकर तो जो रोटी मिलती है, बस वही खाकर बाग के चारों ओर कुछ बड़बड़ करता घूमता रहता है। हमने गुप्त रूप से भी देखा है। इसने कभी कोई फल नहीं तोड़कर खाया है, न नीचे पड़ा उठाया है।
किसी नौकर ने बताया कि यह बलख शहर का राजा है। मैंने 10 वर्ष पहले इसको जंगल में शिकार के समय देखा था। जब मैंने इससे पूछा कि लगता है आप बलख शहर के सुल्तान अब्राहिम अधम हो। पहले तो मना किया, फिर मैंने बताया कि आपको शिकार के समय जंगल में देखा था। आपकी सेना में मेरा साला याकूब बड़ा अधिकारी है। उसने बताया कि राजा ने सन्यास ले लिया है। उसका बेटा गद्दी पर बैठा है। तब इसने कहा कि किसी को मत बताना। सेठ ने चरणों में गिरकर क्षमा याचना की और ढे़र सारा धन देकर कहा कि आप यह धन लेकर अपना निर्वाह करो, भक्ति भी करो। मेरे घर रहो या बाग में महल बनवा दूँ, यहाँ रहकर भक्ति करो। सुल्तान धन्यवाद कहकर चल पड़ा।