फोटोकाॅपी वेदमंत्रों की

विवेचन:- उपरोक्त प्रमाणों से स्पष्ट हुआ कि पूर्ण ब्रह्म (परमेश्वर) यानि सृजनहार कबीर अल्लाह है। वह ही यथार्थ सम्पूर्ण अध्यात्म ज्ञान सूक्ष्मवेद {जो उसकी बोली हुई कबीर बाणी (कलामे कबीर) है} में बताता है। वह सम्पूर्ण ज्ञान वर्तमान में दास (रामपाल दास) के अतिरिक्त विश्व में किसी के पास नहीं है। यह अभिमान की बात नहीं, सच्चाई है। सर्व धर्मों के मानव (स्त्री-पुरूष) उसी अल्लाह कबीर (परमेश्वर कबीर जी) की अपनी आत्मा है। सबका कल्याण करना उस परमेश्वर का उद्देश्य है। यहाँ पर शैतान (काल ब्रह्म) ने सबको भ्रमित कर रखा है। सच्ची राह वही आकर दिखाता है। अब आप जी और अधिक जानकारी पढ़ें उसी परमेश्वर के विषय में वह कैसे-कैसे वेश बनाकर अच्छी आत्माओं तक पहुँचता है।

अल-खिज्र को आज अलग-अलग सभ्यताओं में विभिन्न नामों से जाना व पूजा जाता है, अल-खिज्र का 55 हदीसों में जिक्र मिलता है, कुछ वाकये निम्नलिखित हैं:-

1 मुहम्मद को अल-खिज्र का दिखाई देना व साथ घूमना।

Al-Zuhad में विवरण है। मुहम्मद कहते हैं कि अल-खिज्र व एल्लियाह/इलयास / Elijah हर साल रमजान का महीना जेरूसलम में एक साथ गुजारते हैं।

कुछ मुसलमान व ईसाई शास्त्रिायों का ये मानना है कि अल-खिज्र व एल्लियाह एक ही शख्स है। एल्लियाह का बाईबल में 5 जगह (मत्ती/Matthew 17:1-8, 2 Chronicles 21:12, 1 राजा/King 2 King, Malachi 3:1 & 4:5) और कुरआन शरीफ में 2 जगह (Sura Al-Saafat 37:123-132 - Sura an'am 6:85) जिक्र है।

Umar II में विवरण है, जो शख्स मुहम्मद के साथ टहल रहा था, वो अल-खिज्र था।

Abu Zura Al Razi में विवरण है, मुहम्मद अपने जीवन काल में अल-खिज्र से दो बार मिले थे। एक बार जवानी में और एक बार बुढ़ापे में पर अल-खिज्र की उम्र बिल्कुल नहीं बदली थी।

Ayun Akhbar Al-Rida में विवरण है, अली कहता है कि मदीना की एक गली से गुजरते वक्त अल-खिज्र ने हजरत मुहम्मद और मुझे दर्शन दिए और हमसे बात की।

2 (Al-Bayhaqi) अल-खिज्र का मुहम्मद के अंतिम संस्कार पर मौजूद होना व अली से मुलाकात।

मुहम्मद की मृत्यु के उपरांत उनके शव को अंतिम दर्शन के लिए मुसलमानों के बीच रखा गया था। तब एक ताकतवर दिखने वाला सुंदर नाक-नक्शे का और आकर्षित करने वाली हस्ती का सफेद दाढ़ी वाला एक आदमी वहाँ मौजूद मुसलमानों की भीड़ को चीरते हुए मुहम्मद के शव के पास पहुँचा और शोक व्यक्त करके चला गया। बाद में अली ने बताया कि वह शख्स अल-खिज्र था।

एक दूसरे व्याख्यान में अल-खिज्र अली को काबा के पास दिखाई दिए। वहाँ अली को अल-खिज्र ने एक दुआ (मंत्र) दी और कहा कि तुम इस दुआ को करना, ये दुआ तुम्हें अद्भुत लाभ देगी। तुम्हारे गुनाहों की गिनती आसमान के तारों या जमीन पर पड़ी कंकरों जितनी क्यों ना हो, ये दुआ उनका एक पल (Blink of an eye) में नाश कर देगी।

3 Lataif al Minan (1:84-98) में जिक्र है कि अल-खिज्र आज भी जिंदा है।

मुसलमानों का ये मानना है कि अल-खिज्र अमर (पउउवतजंस) है और आज भी धरती पर जिंदा व मौजूद है और अल्लाह की राह पर जो उलझन में हैं, उनका मार्गदर्शन करता है।

4 अल-खिज्र के बारे में और कुछ प्रचलित कहानियाँ।

मुस्लिम शास्त्रिायों का मानना है कि अल-खिज्र को लोगों के बीच उसके नरम हाथों से पहचाना जा सकता है। कुछ का मानना है कि अल-खिज्र के हाथों में हड्डियाँ नहीं हैं। सूफी इमामों का मानना है कि हम अपने जीवन काल में एक बार अल-खिज्र से जरूर मिलते हैं। जब आप किसी सफेद दाढ़ी वाले आदमी से हाथ मिलाओ और उसके हाथ में हड्डी ना हों तो समझ जाना वो अल-खिज्र है। अल-खिज्र को जिंदा पीर भी कहा गया है। मुस्लिम देशों में अल-खिज्र की अनगिनत यादगार मौजूद हैं।

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