भोजन खाने से पहले बोली जाने वाली वाणी
भोजन थाली में डालने के बाद एक ग्रास रोटी तथा सब्जी आदि का कुछ अंश भी उस ग्रास पर रख कर थाली के अन्दर या किसी अन्य कटोरी में रख दें, फिर निम्न वाणी बोलकर भोजन खाना प्रारम्भ करें। भोजन करने के बाद वह अलग से रखा हुआ ग्रास जो भगवान को भोग लगाया था उसे यह कह कर खाऐं
‘‘हे प्रभु आपका बचा-खुचा भोजन आप के दास को मिलता रहे, आप हमारे सर्व दुःखों का निवारण करें।‘‘
गरीब, सुख देना दुःख मेटना, ताजा राखे तन।
सुर तेतीसों खुश किए नमस्कार तोहे अन्न।1।
अन्न जल साहिब रूप है, क्षुध्या तृषा जाए।
चारों युग प्रवान हैं, आत्म भोग लगाए।2।
जो अपने सो ओर के, एकै पीड़ पिछान।
भुखियां भोजन देत हैं, पहुचेगें प्रवान।3।
अन्न देव तुं अलख दयालं, तेरे पलड़ै तुलै न लालं।
अन्न देव तुं जगमग ज्योति, तेरे पलड़ै तुलै न मोति।4।
वैरागर किस काम न आवै, अन्न देव तुं सब मन भावै।
वैरागर है पत्थर भारी, अन्न देव तुं आप मुरारी।5।
खुध्या तृषा मेटैं पीड़ा, तेरै पलड़ै तुलै न हीरा।
दास गरीब ये अन्न की महिमा,
तीन लोक मैं जाका रहिमा।6।