सतगुरू से दीक्षा लेकर भक्ति करें
वाणी शब्द सँख्या = 30
श्री जम्भेश्वर महाराज जी का आदेश है कि गुरू से नाम लेकर भक्ति करने से लाभ होगा, पहले गुरू की परख करो, गुरू बिन दान नहीं करना चाहिए, गुरू ही दान के लिए सुपात्र हैं, कुपात्र को दान नहीं देना चाहिए।
प्रमाण:- शब्द वाणी संख्या:- 1, 23, 26, 29, 30, 35, 36, 37, 40, 41, 45, 77, 85, 86, 90, 91, 101, 107, 108, 120, 56
कुपात्र को दान देना व्यर्थ:- विशेष विवरण = शब्द वाणी सँख्या 56 में है।
जिसमें कहा है कि कुपात्र को दान देना तो ऐसा है जैसे अँधेरी रात्रि में चोर चोरी कर ले गया हो और सुपात्र को दान देना ऐसा है जैसे उपजाऊ खेत में बीज डाल दिया हो। बिश्नोई धर्म में तीर्थ पर जाना, वहाँ स्नानार्थ जाना, पिण्ड भराना (पिण्डोदक क्रिया) आदि-आदि पूजाओं का निषेध है।
प्रमाण:- शब्द वाणी सँख्या = 50
- श्री जम्भेश्वर महाराज जी को परमात्मा जिन्दा के रूप में गाँव समराथल में मिले थे। प्रमाण:- शब्द वाणी सं. 50, 72, 90
- वेद शास्त्रों में पूर्ण मोक्ष मार्ग नहीं है:- प्रमाण - शब्द वाणी सं. 59, 92
- भक्ति बिना राज-पाट तथा सर्व महिमा व्यर्थ है:- प्रमाण वाणी सं. 60
- श्री रामचन्द्र जी ने कुछ गलतियाँ की थी:- प्रमाण-शब्द वाणी सं. 62
- गुरू को छोड़कर शिष्य का सम्मान (महिमा) करना गलत है:-
प्रमाण:- शब्द वाणी सं. 71
कबीर परमेश्वर जी ने भी कहा है:-
गुरू को तजै भजै जो आना (अन्य)। ता पशुआ को फोकट ज्ञाना।।
- बिश्नोई धर्म में स्वर्ग (बैकुंठ) को ही उत्तम (श्रेष्ठ) लोक माना है:- प्रमाण - शब्द वाणी सं. 73, 119, 94