जीने की राह
Jeene Ki Rah
Book by Sant Rampal Ji Maharaj
Book Title - जीने की राह (Jeene Ki Rah)
Author - Sant Rampal Ji Maharaj
Language - Hindi
Publisher - Satlok Ashram, Barwala, Hisar
Genre - Spiritual, Tatvagyan
Subject - Way of Living
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जीने की राह पुस्तक घर-घर में रखने योग्य है। इसके पढ़ने तथा अमल करने से लोक तथा परलोक दोनों में सुखी रहोगे। पापों से बचोगे, घर की कलह समाप्त हो जाएगी। बहू-बेटे अपने माता-पिता की विशेष सेवा किया करेंगे। घर में परमात्मा का निवास होगा। भूत-प्रेत, पित्तर-भैरव-बेताल जैसी बुरी आत्माऐं उस परिवार के आसपास नहीं आएंगी। देवता उस भक्त परिवार की सुरक्षा करते हैं। अकाल मृत्यु उस भक्त की नहीं होगी जो इस पुस्तक को पढ़कर दीक्षा लेकर मर्यादा में रहकर साधना करेगा।
इस पुस्तक को पढ़ने से उजड़े परिवार बस जाऐंगे। जिस परिवार में यह पुस्तक रहेगी, इसको पढ़ेंगे। जिस कारण से नशा अपने आप छूट जाएगा क्योंकि इसमें ऐसे प्रमाण हैं जो आत्मा को छू जाते हैं। शराब, तम्बाकू तथा अन्य नशे के प्रति ऐसी घृणा हो जाएगी कि इनका नाम लेने से रूह काँप जाया करेगी। पूरा परिवार सुख का जीवन जीएगा। जीवन का सफर आसानी से तय होगा क्योंकि जीवन का मार्ग साफ हो जाता है।
इस पुस्तक में, पूर्ण परमात्मा कौन है? उसका नाम क्या है? उसकी भक्ति कैसी है? सब जानकारी मिलेगी। मानव जीवन सफल हो जाएगा। परिवार में किसी प्रकार की बुराई नहीं रहेगी। परमात्मा की कृपा सदा बनी रहेगी। जीने की राह उत्तम मिलने से यात्रा आसान हो जाएगी। जो इस पुस्तक को घर में नहीं रखेगा, वह जीवन की राह उत्तम न मिलने से संसार रूपी वन में भटककर अनमोल जीवन नष्ट करेगा। परमात्मा के घर में जाकर पश्चाताप के अतिरिक्त कुछ हाथ नहीं लगेगा। उस समय आपको पता चलेगा कि जीने की राह उत्तम न मिलने से जिंदगी बर्बाद हो गई। फिर आप परमात्मा से विनय करेंगे कि हे प्रभु! एक मानव जीवन और बख्श दो। मैं सच्चे मन से सत्य भक्ति करूंगा। जीवन की सच्ची राह की खोज करने सत्संग में जाया करूंगा। आजीवन भक्ति करूंगा। अपना कल्याण करवाऊँगा। उस परमात्मा के दरबार (कार्यालय) में आपके पूर्व के जन्मों की फिल्म चलाई जाएगी जिनमें आप प्रत्येक बार जब-जब मानव जीवन प्राप्त हुआ था, आपने यही कहा था कि एक मानव जीवन और दे दो, कभी बुराई नहीं करूंगा। आजीवन भक्ति भी करूंगा। घर का कार्य निर्वाह के लिए भी करूंगा। पूर्ण सतगुरू से दीक्षा लेकर कल्याण करवाऊँगा। जो गलती अबके मानव जीवन में हुई है, कभी नहीं दोहराऊँगा/दोहराऊँगी।
फिर परमात्मा जी कहते हैं कि अपने आपको तो मूर्ख बनाकर जीवन नष्ट करके आ खड़ा हुआ पापों की गाड़ी भरकर, मुझे भी मूर्ख बनाना चाहता है। चल नरक में। फिर चौरासी लाख प्रकार के प्राणियों के शरीरों में चक्र लगा। जब कभी मानव (स्त्राी-पुरूष) शरीर मिले, सावधान होकर संतों का सत्संग सुनना और अपना कल्याण कराना।
पाठकजनों से निवेदन है कि इस पवित्र पुस्तक के पढ़ने से आपकी एक सौ एक (101) पीढ़ी लोक तथा परलोक में सुखी रहेगी। इसको परमात्मा का आदेश मानकर पूरा परिवार पढ़ें। एक पढ़े, अन्य सुनें या एक से अधिक पुस्तक लेकर भिन्न-भिन्न प्रतिदिन पढ़ें। इसमें लिखे प्रत्येक प्रकरण को सत्य मानें। मजाक में न लें। यह किसी सांगी की बनाई नहीं है, यह परमेश्वर के गुलाम रामपाल दास द्वारा हृदय से मानव कल्याण के उद्देश्य से लिखी गई है। लाभ उठायें।
।।सत साहेब।।
लेखक
दासन दास रामपाल दास
पुत्रा/शिष्य स्वामी रामदेवानंद जी
सतलोक आश्रम बरवाला
जिला-हिसार, हरियाणा (भारत)