कबीर परमेश्वर जी का संक्षिप्त परिचय
कबीर परमेश्वर चारों युगों में इस पृथ्वी पर सशरीर प्रकट होते हैं। अपनी जानकारी आप ही देते हैं। परमात्मा सत्ययुग में ‘‘सत्य सुकृत’’ नाम से, त्रेता में ‘‘मुनिन्द्र’’ नाम से तथा द्वापर में ‘‘करूणामय’’ नाम से तथा कलयुग में ‘‘कबीर’’ नाम से प्रकट होते हैं।
सतयुग में सत सुकृत कह टेरा, त्रेता नाम मुनिन्द्र मेरा। द्वापर में करूणामय कहाया, कलयुग नाम कबीर धराया।। -स्वयं कबीर साहेब जी
सतगुरु पुरूष कबीर हैं, चारों युग प्रमाण।
झूठे गुरूवा मर गए, हो गए भूत मसान।।
अनन्त कोटि ब्रह्मण्ड का, एक रति नहीं भार।
सतगुरू पुरूष कबीर हैं, कुल के सिरजनहार।।
हम सुल्तानी नानक तारे, दादू को उपदेश दिया।
जाति जुलाहा भेद न पाया, काशी मांही कबीर हुआ।।
-सन्त गरीब दास साहेब जी
जिन मोकूं निज नाम दिया सोई सतगुरू हमार।
दादू दूसरा कोई नहीं कबीर सिरजनहार।।
-सन्त दादू दास साहेब जी
तेरा एक नाम तारे संसार, मैं येही आश ये ही आधार।
फाई सुरति मुलूकी वेश, ये ठगवाड़ा ठग्गी देश।
खरा सियाणा बहुते भार, धाणक रूप रहा करतार।।
(गुरू ग्रंथ साहेब पृष्ठ 24)
हक्का कबीर करीम तू, बे एब परवरदिगार। (गुरू ग्रंथ साहेब पृष्ठ 721)
अंधुला नीच जाति परदेशी मेरा, खिन आवै तिल जावै,
जाकि संगति नानक रहंदा, क्योंकर मोंहडा पावै।
(गुरू ग्रंथ साहेब पृष्ठ 731) -नानक देव साहेब जी
बोलत रामानन्द जी सुनो कबीर करतार,गरीब दास सब रूप में तुम ही बोलनहार।।
दोहूं ठौर है एक तू भया एक से दो, गरीबदास हम कारणे आए हो मग जोय।।
यहां केवल कलयुग में परमेश्वर कबीर जी की कुछ लीलाओं का वर्णन करेंगे। सत्ययुग, त्रेतायुग, तथा द्वापरयुग में परमात्मा का पृथ्वी पर प्रकट होने का वृत्तांत कृपया इसी पुस्तक के पृष्ठ 250 पर पढ़ें।