गीता अनुवादकों की अज्ञानता का प्रमाण

पेश है श्री कृष्ण जी के वकील साहेबानों की सरेआम अज्ञानता व शब्दों के अर्थों के अनर्थ का प्रमाण:-

गीता अध्याय 18 श्लोक 66:- गीता जी के सब अनुवादकों ने गीता अध्याय 18 श्लोक 66 का अनुवाद गलत किया है। इस श्लोक 66 के मूल पाठ में ‘‘व्रज’’ शब्द है जिसका अर्थ आना किया है जो गलत है। ’’व्रज‘‘ का अर्थ जाना, चले जाना, प्रस्थान करना, एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना है।

प्रमाण के लिए पेश है फोटोकाॅपी "संस्कृत-हिन्दी कोश" की जिसके संग्रहकर्ता हैं वामन शिवराम आप्टे:-

Vraj ka matlab jaana

शब्दकोश से स्पष्ट हुआ कि ‘‘व्रज’’ माने जाना है।

अन्य प्रमाण:- एस्कोन के संस्थापक श्री प्रभुपाद जी महाराज द्वारा अनुवादित श्रीमद्भगवत गीता के अध्याय 18 श्लोक 66 के अनुवाद से पहले शब्दों के अर्थ लिखे हैं। उनमें तो ‘‘व्रज’’ माने जाना लिखा है। परंतु जहाँ श्लोक 66 का अनुवाद किया है, उसमें आना किया है।

© Kabir Parmeshwar Bhakti Trust (Regd) - All Rights Reserved