कुरआन शरीफ (मजीद) में भी सम्पूर्ण अध्यात्म ज्ञान नहीं है
प्रमाण:- सूरत फुरकान 25 आयत नं. 52-59 में पवित्र कुरआन मजीद (शरीफ) का ज्ञान देने वाले अल्लाह ने अपने भेजे नबी मुहम्मद (अलैही वसल्लम) को इन आयतों में बताया है कि कबीर नामक अल्लाह अर्थात् अल्लाह अक्कबर (कादर) समर्थ परमेश्वर है। इस बात पर काफिर इमान (विश्वास) नहीं लाते। आप उनकी बातों को न मानना। मेरे द्वारा दी गई कुरआन की दलीलों से उस कबीर अल्लाह के लिए संघर्ष करना। उसी ने आदमी उत्पन्न किए। उसी ने मानव को ससुराल, बेटी, बहू आदि दी। उसी ने दो खारे तथा मीठे जल की दरियाएँ बहाई। उनके बीच में मजबूत रोक लगाई। हमने तेरे को (हजरत मुहम्मद) को केवल उनको समझाने तथा अजाब से बचाने के लिए भेजा है। उनसे कह दो कि मैं तुमसे कोई पैसा नहीं लेता। कहीं यह समझो कि मैं स्वार्थ के लिए ऐसा कर रहा हूँ। और ऐ पैगंबर! वह कबीर अल्लाह अपने बंदों के गुनाहों को क्षमा करने वाला बड़ा रहमान (मेहरबान) है।
आयत नं. 59:- और वह अल्लाहू अकबर वही है जिसने छः दिन में सृष्टि की उत्पत्ति की और फिर ऊपर तख्त (सिंहासन) पर जा बैठा। उसकी खबर (पूर्ण जानकारी) किसी बाखबर (तत्त्वज्ञानी) से पूछो।
विशेष:- इससे सिद्ध हुआ कि पवित्र कुरआन पुस्तक में भी संपूर्ण अध्यात्म ज्ञान नहीं है। परंतु लेखक का कहने का यह तात्पर्य बिल्कुल नहीं कि उपरोक्त सब शास्त्रों (पवित्र वेदों, पवित्र श्रीमद्भगवत गीता, पवित्र बाईबल तथा पवित्र कुरआन) का ज्ञान गलत है। उपरोक्त शास्त्रों का ज्ञान गलत नहीं, परंतु अधूरा (incomplete) है।
उदाहरण दें तो जैसे दसवीं कक्षा तक का पाठ्यक्रम (syllabus) गलत नहीं है। परंतु बी.ए., बी.एस.सी, पी.एच.डी., इन्जीनियरिंग तथा डाॅक्टरी आदि के लिए आगे की पढ़ाई पढ़नी पड़ती है। वह पाठ्यक्रम दसवीं से आगे का होता है जिससे पढ़ाई का उद्देश्य पूर्ण होता है। वह सम्पूर्ण अध्यात्म ज्ञान अल्लाह कबीर स्वयं ही पृथ्वी पर प्रकट होकर बताता है। परमेश्वर कबीर माता से जन्म नहीं लेता। वह ऊपर सतलोक वाले अपने सिंहासन (तख्त) से सशरीर चलकर आता है। जैसे बाईबल ग्रन्थ में भी प्रमाण है कि सृष्टिकर्ता परमेश्वर का निज निवास ऊपर के लोक में है जो सर्वोच्च आकाश पर है। परमेश्वर ने वहीं से आकर सृष्टि की रचना छः दिन में सम्पूर्ण की और सातवें दिन ऊपर (तख्त) सिंहासन पर जा विराजा। सातवें दिन विश्राम किया। पवित्र वेदों में भी प्रमाण है कि परमेश्वर सबसे ऊपर के लोक में बैठा है। वहाँ से सशरीर चलकर पृथ्वी के ऊपर आता है। नेक बंदों को जो परमात्मा की खोज में लगे रहते हैं, उनको मिलता है। किसी संत या जिंदा बाबा के रूप में साधकों से आमने-सामने बात करता है। उसे पृथ्वी पर पहचानना कठिन होता है। वह पूर्ण ब्रह्म (कादर अल्लाह कबीर) कुरआन, बाईबल, वेद, गीता आदि के ज्ञान देने वाले की तरह छुपकर काम नहीं करता। जो पर्दे के पीछे से यानि गुप्त रहकर बात करता है या किसी में प्रवेश करके बात करता है। वह ज्योति निरंजन काल (शैतान) है। इसने कभी भी किसी के सामने प्रत्यक्ष न होने की प्रतिज्ञा कर रखी है। पूर्ण ब्रह्म वेश बदलकर प्रत्यक्ष होकर ज्ञान देता है। अपना परिचय देने के लिए उनको ऊपर वाले लोक में ले जाकर वापिस पृथ्वी पर शरीर में छोड़ता है। फिर वे चस्मदीद गवाह (eye witness) आँखों देखा वर्णन उस कादर अल्लाह कबीर का करते हैं। उससे प्राप्त ज्ञान का प्रचार करते हैं जिसमें संदेह की कोई गुंजाइश नहीं रहती।
अब पढ़ें वेदमंत्रों में कि अल्लाह पृथ्वी पर आता है। यथार्थ ज्ञान भक्तों को बताता है। साधना के सच्चे नामों का ज्ञान भी बताता है:-
देखें फोटोकाॅपी ऋग्वेद मण्डल नं. 9 सूक्त 54 मंत्र 3 की:-
विवेचनः- ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 54 मन्त्रा 3 की फोटोकापी में आप देखें, इसका अनुवाद आर्यसमाज के विद्वानों ने किया है। उनके अनुवाद में भी स्पष्ट है कि वह परमात्मा (भूवनोपरि) सम्पूर्ण ब्रह्माण्डों के ऊध्र्व अर्थात् ऊपर (तिष्ठति) विराजमान (ऊपर बैठा) है।
इसका यथार्थ अनुवाद इस प्रकार है:-
(अयं) यह (सोमः देव) अमर परमेश्वर (सूर्यः) सूर्य (न) के समान (विश्वानि) सर्व को (पुनानः) पवित्र करता हुआ (भूवनोपरि) सर्व ब्रह्माण्डों के ऊध्र्व अर्थात् ऊपर (तिष्ठति) बैठा है।
भावार्थ:- जैसे सूर्य ऊपर है और अपना प्रकाश तथा उष्णता से सर्व को लाभ दे रहा है। इसी प्रकार यह अमर परमेश्वर जिसका वेद के मन्त्रों में वर्णन किया है। सर्व ब्रह्माण्डों के ऊपर बैठकर अपनी निराकार शक्ति से सर्व प्राणियों को लाभ दे रहा है तथा सर्व ब्रह्माण्डों का संचालन कर रहा है। आगे वेदों में प्रमाण है कि परमेश्वर ऊपर के लोक से चलकर आता है। अच्छी आत्माओं को मिलता है। उनको सम्पूर्ण अध्यात्म ज्ञान अपने मुख कमल से वाणी बोलकर बताता है। भक्ति करने की प्रेरणा करता है। साधना के यथार्थ मंत्रों का आविष्कार करता है। पृथ्वी पर कवि जैसा आचरण करता हुआ विचरण करके स्थान-स्थान पर जाता है। जो भक्ति पर लगे नेक बंदे होते हैं, उनको यथार्थ भक्ति मार्ग बताता है।
अब देखें वेदों की फोटोकाॅपियाँ तथा लेख द्वारा किया गया विवेचन:-