सम्पूर्ण अध्यात्म ज्ञान के विषय में प्रमाण
सूक्ष्मवेद (कलामे कबीर = कबीर वाणी) के अतिरिक्त किसी धर्म ग्रन्थ में सम्पूर्ण अध्यात्म ज्ञान नहीं है।
प्रमाण:- हिन्दू धर्म के मुख्य ग्रन्थ चार वेद (ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद तथा अथर्ववेद) हैं। उनका सार यानि संक्षिप्त में ज्ञान श्रीमद्भगवत गीता है। इनका ज्ञान भी उसी अल्लाह (प्रभु) ने दिया है जिसने चारों किताबों (जबूर, तौरेत, इंजिल तथा कुरआन) का ज्ञान दिया है।
यजुर्वेद अध्याय 40 मंत्र 10 में वेद ज्ञान दाता ने कहा है कि कोई तो परमेश्वर को कभी न उत्पन्न होने वाला यानि निराकार बताता है। कोई उत्पन्न होने वाला साकार मानते हैं जैसे राम, कृष्ण का जन्म हुआ, इनको प्रभु मानते हैं। परमात्मा निराकार है या साकार है? उत्पन्न होता है या उत्पन्न नहीं होता है? अवतार धारण करता है या नहीं करता? इसके विषय में (धीराणाम्) तत्त्वदर्शी संत ठीक-ठीक बताते हैं, उनसे सुनो।
विशेष:- सिद्ध हुआ कि वेदों में सम्पूर्ण अध्यात्म ज्ञान नहीं है।
श्रीमद्भगवत गीता में भी सम्पूर्ण अध्यात्म ज्ञान नहीं है।
प्रमाण:- श्रीमद्भगवत गीता हिन्दू समाज के लिए चारों वेद महत्वपूर्ण व विश्वास के योग्य ग्रन्थ हैं। वेदों से अधिक गीता को पढ़ा जाता है। गीता का ज्ञान भी उसी प्रभु (अल्लाह) ने दिया है जिसने चारों वेदों तथा चारों किताबों (जबूर, तौरेत, इंजिल तथा कुरआन) का ज्ञान दिया है। हिन्दू धर्माचार्य मानते हैं कि श्रीमद्भगवत गीता चारों वेदों का सार है। इसी गीता के अध्याय 4 श्लोक 32 में कहा है कि (ब्रह्मणः) पूर्ण ब्रह्म (मुखे) अपने मुख कमल से वाणी बोलकर यथार्थ ज्ञान प्रचार करता है। उनकी उस वाणी में बताया ज्ञान ’’तत्त्वज्ञान‘‘ कहा जाता है। फिर गीता अध्याय 4 के ही श्लोक 34 में कहा है कि ’’हे अर्जुन! उस तत्त्वज्ञान को (जो समर्थ परमेश्वर मुख से वाणी बोलकर बताता है) तू किसी तत्त्वदर्शी संतों से पूछो। दंडवत् प्रणाम करके नम्रतापूर्वक प्रश्न करने से वे तत्त्वज्ञान जानने वाले ज्ञानी महात्मा तेरे को तत्त्वज्ञान का उपदेश करेंगे।‘‘ {क्योंकि वही यथार्थ ज्ञान वही समर्थ प्रभु समय-समय पर अच्छी आत्माओं नेक बंदों को बताता रहता है, इसलिए कहा है। वह ज्ञान वर्तमान में मुझ दास (रामपाल दास) के पास है। विश्व में किसी को उसका ज्ञान नहीं है।}
विशेष:- इससे सिद्ध हुआ कि सम्पूर्ण अध्यात्म ज्ञान श्रीमद्भगवत गीता में भी नहीं है।
बाईबल (जो जबूर, तौरेत तथा इंजिल तीनों पुस्तकों का योग है। इस बाईबल) में तथा कुरआन में भी सम्पूर्ण अध्यात्म ज्ञान नहीं है।
प्रमाण:- ऊपर ‘‘अल-खिज्र (अल-कबीर) की जानकारी’’ शीर्षक में बताया है कि जिस अल्लाह ने पवित्र पुस्तक ’’जबूर‘‘ का, पवित्र पुस्तक तौरेत तथा पवित्र पुस्तक इंजिल का ज्ञान दिया है। उसने हजरत मुहम्मद जी को भी बताया (जो पवित्र पुस्तक कुरआन की सूरः काफ-18, आयत 60.82 में अंकित है) कि मैंने मूसा को वह ज्ञान जानने के लिए एक शख्स के पास भेजा जो ज्ञान मूसा को नहीं था। उस ज्ञान के सामने मूसा को प्राप्त ज्ञान (पुस्तक तौरेत) कुछ भी मायने नहीं रखता। मूसा जी उस ज्ञान को प्राप्त किए बिना ही खाली लौट आया था। इस प्रकरण से कई बातें निकलकर सामने आती हैं:-
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वह ज्ञान तौरेत पुस्तक में नहीं है। यदि होता तो अल-खिज्र के पास ज्ञान प्राप्ति के लिए भेजने की आवश्यकता ही नहीं थी।
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पवित्र जबूर, पवित्र तौरेत तथा पवित्र इंजिल का ज्ञान इसी अल्लाह ने क्रमशः हजरत दाऊद, हजरत मूसा तथा हजरत ईशा को एक-एक ही बार में दिया था यानि कुरआन के ज्ञान की तरह थोड़ा-थोड़ा करके नहीं उतारा था।
हजरत मूसा जी तौरेत के ज्ञान का प्रचार कर रहे थे। उसी ज्ञान का सत्संग कर रहे थे। सत्संग के दौरान किसी सत्संगी ने पूछा था कि हे मूसा! वर्तमान में संसार में सबसे विद्वान कौन है? मूसा ने अपने को संसार में सबसे विद्वान बताया था। जिससे मूसा जी के अल्लाह जी ने कहा था कि तेरा ज्ञान अल-खिज्र के ज्ञान के सामने कुछ भी मायने नहीं रखता। इससे सिद्ध हुआ कि तौरेत का ज्ञान अधूरा है।
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यदि जबूर पुस्तक में सम्पूर्ण ज्ञान होता तो अल्लाह कह देता कि जबूर वाला ज्ञान तेरे ज्ञान से उत्तम है। वह उस अध्याय में अंकित है। परंतु ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिलता। इससे सिद्ध हुआ कि जबूर का ज्ञान भी अल-खिज्र के ज्ञान के समान नहीं है।
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यदि इंजिल में सम्पूर्ण ज्ञान होता तो हजरत मुहम्मद को अल्लाह कह देता कि अल-खिज्र वाला ज्ञान मरियम के बेटे ईसा को ’’इंजिल‘‘ में दे रखा है। परंतु यह भी कहीं प्रमाण नहीं है। इससे सिद्ध हुआ कि पवित्र पुस्तक ’’इंजिल‘‘ में भी अल-खिज्र (अल-कबीर) वाला ज्ञान नहीं है।
विशेष:- उपरोक्त विश्लेषण से स्पष्ट हुआ कि सम्पूर्ण आध्यात्मिक ज्ञान पवित्र बाईबल में नहीं है। {पवित्र बाईबल ग्रन्थ में केवल तीन पुस्तकें इकठ्ठी जिल्द की गई हैं:- 1 जबूर, 2 तौरेत, 3 इंजिल। इन तीनों का योग बाईबल नाम से जाना जाता है।}