मामरे पर तीनों देवताओं के देखने का प्रमाण
(इसहाक के जन्म की प्रतिज्ञा)
इसमें लिखा है कि अब्राहम मम्रे (मामरे) के बांजों के बीच कड़ी धूप के समय तम्बू के द्वार पर बैठा था, तब यहोवा ने उसे दर्शन दिया और उसने आँख उठा कर देखा तो तीन पुरुष उसके सामने खड़े हैं। उन्होंने अब्राहम की प्रार्थना पर खाना खाया तथा वृद्ध अवस्था में पुत्र होने का आशीर्वाद देकर चले गए तथा जाते समय कहा कि हम सदोम आदि नगरों का नाश करने जा रहे हैं। वहाँ के लोग अधर्मी हो गए हैं। अब्राहम ने पूछा क्या आप अधर्मियों के साथ धर्मियों को भी मार डालोगे। प्रभु ने कहा यदि 100 व्यक्ति भी धर्मी होंगे तो भी हम उस नगरी का नाश नहीं करेंगे। ‘‘सदोम आदि नगरों का विनाश‘‘ नामक विषय में लिखा है कि उनमें से दो दूत ‘‘सदोम‘‘ में पहुँचे। सदोम में लूत (लोट) नामक व्यक्ति रहता था। उस गाँव के व्यक्ति बहुत निकम्मे थे। लूत (लोट) ने उन्हें आदर पूर्वक रोका। गाँव वालों ने उन फरिश्तों को आम व्यक्ति जान कर उनके साथ कुकर्म (नर से नर बलात्कार करना) करने के लिए बाहर निकलने को कहा। परन्तु लूत(लोट) ने कहा यह मेरे अतिथि हैं, मैं इन्हें आपको नहीं दे सकता। आप मेरी लड़की को ले लो। इस बात से प्रसन्न फरिश्तों ने सभी निकम्मे व्यक्तियों को अंधा कर दिया तथा लूत (लोट) को उसके परिवार सहित उस गाँव से निकाल कर पूरे गाँव को नष्ट कर दिया। इससे सिद्ध हुआ कि तीनों देवता हैं, जो ब्रह्म के आदेश से सर्व को किए कर्म का फल देते हैं।
उपरोक्त विवरण से सिद्ध हुआ कि तीन देवता हैं। उनमें से कभी दो कभी एक अपने-अपने साधक के पास जाते हैं। यदि कोई तीनों का साधक है तो तीनों भी एक साथ जाते हैं, यदि कोई दो का साधक है तो दो भी दर्शन देते हैं। उपरोक्त प्रमाण से भी सिद्ध होता है कि तीनों देवता (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) ही अपने पिता ब्रह्म के आदेशानुसार एक ब्रह्मण्ड में सर्व कार्य करते हैं। भक्ति भाव के व्यक्तियों की कर्म अनुसार रक्षा तथा दुष्कर्म करने वालों का कर्म अनुसार नाश करते हैं। ब्रह्म(अव्यक्त कभी सामने दर्शन न देने वाला) प्रभु उपरोक्त तीनों फरिश्तों (देवताओं) द्वारा अपना आदेश नबियों के पास भिजवाता है तथा आकाशवाणी द्वारा या प्रेतवत प्रवेश करके स्वयं भी आदेश देता है। फरिश्ते तो उसका ज्यों का त्यों आदेश सुनाते हैं। आदेश में कोई परिवर्तन नहीं करते। इससे स्पष्ट हुआ कि पवित्र बाईबल तथा पवित्र र्कुआन सहित चारों कतेबों का ज्ञान दाता प्रभु किसी अन्य कबीर नामक प्रभु की तरफ संकेत कर रहा है।
विशेष:- र्कुआन शरीफ(मजीद) शूरः बकरः 2 (87) आयत 21 से 33 तक उस पूर्ण परमात्मा की महिमा के विषय में वर्णन है तथा आयत 34 से अंत तक अपनी महिमा बताई है तथा अपने ज्ञान अनुसार पूजा विधि बताई है। यह भी स्पष्ट किया है कि मैंने (र्कुआन ज्ञान दाता ने) आदम तथा उसकी पत्नी हव्वा को स्वर्ग की वाटिका में ठहराया तथा उनको बीच वाले वृक्षों के फल छोड़ कर शेष वृक्षों के फल खाने को कहा। परन्तु उन्होंने सर्प के बहकाने से बीच वाले वृक्षों के फल खा लिये। मैंने उनको जमीन पर दुःखी होने के लिये भेज दिया। (शूरः बकरः 2 (87) आयत 35 से 39 तक।)
र्कुआन ज्ञान दाता अल्लाह ने स्पष्ट किया है कि मैंने ही हजरत मूसा को ‘‘तौरत‘‘ किताब उतारी थी तथा मूसा के लिए पत्थर से पानी के झरने निकाले थे(आयत 41, 53, 60)। हम ही मूसा के बाद एक के बाद दूसरा पैगम्बर भेजते रहे तथा ईसा बिन मरियम को खुली निशानियाँ बख्शी तथा रूहुल कुदस(यानि जब्रिल) से उनको मदद दी। (आयत 87)
सार विचार:- उपरोक्त पवित्र र्कुआन शरीफ के विवरण से स्पष्ट हुआ कि बाबा आदम से लेकर हजरत ईसा, हजरत अब्राहम, हजरत दाऊद, हजरत मुसा, हजरत मुहम्मद साहेब तक को पैगम्बर बना कर भेजने वाला खुदा (अल्लाह/प्रभु) एक ही है। उसी ने र्कुआन शरीफ अर्थात् मजीद का ज्ञान ब्रह्म के द्वारा स्वयं प्रेतवत प्रवेश करके या आकाशवाणी करके कहा है या फरिश्तों के माध्यम से हजरत मुहम्मद तक ज्यांे का त्यों पहुँचाया है। वही खुदा सूरत फुर्कानि 25 आयत 52 से 58 तथा 59 में कह रहा है कि हे पैगम्बर (हजरत मुहम्मद) पूर्ण परमात्मा कबीर है, परन्तु काफिर लोग मेरी इस बात पर विश्वास नहीं करते। आप उनकी कही बातों को मत मानना मेरे द्वारा दिया यह कुरान शरीफ वाले ज्ञान की दलीलों पर विश्वास करना कि कबीर अल्लाह उसी को अल्लाह अक्बरू कहते हैं। इस ज्ञान के समर्थन में काफिरों के साथ संघर्ष करना भावार्थ है कि काफिर लोग कहते हैं कि कबीर अल्लाह नहीं है। आप (हजरत मुहम्मद) कहना कि कबीर अल्लाह है। लड़ना नहीं है। उनकी बातों में नहीं आना हैं (आयत 52) वह (कबीर अल्लाह) वही है जिसने जमीन व आसमान के बीच सर्व रचा, दिन-रात बनाए, परिवार, रिश्तेदार, आदि इन्सान के लिए बनाए तथा जमीन में मीठा पानी आदि पदार्थ प्रदान किए।(आयत 53 से 55) हे पैगम्बर(हजरत मुहम्मद)! मैंने जो कुरान की आयतों द्वारा ज्ञान दिया है उसमें जो कबीर है वह पूर्ण परमात्मा है उस पर विश्वास रखना। काफिर लोग उस कबीर को परमात्मा (अल्लाह) नहीं मानते। उनकी बातें मत मानना, उनके साथ ज्ञान का संघर्ष करना लड़ना नहीं परन्तु उनकी बातों को स्वीकार नहीं करना। (आयत 52) वह कबीर परमात्मा वही है जिसने सर्व सृष्टि की रचना की है। जिसने परिवार के जन उत्पन्न किए नाते-रिश्ते बनाए। सर्व का पालन करता है। (आयत 53 से 55) हमने तुम्हें खुशखबरी सुनाने(सिर्फ अजाब से) डराने के लिये भेजा है। (आयत 56) और (ऐ पैगम्बर) उस जिंदा पर भरोसा रखो जो कभी मरने वाला नहीं है। {क्योंकि पूर्ण परमात्मा (अल्लाह कबीर) एक जिन्दा महात्मा की वेशभूषा में हजरत मुहम्मद जी को मिला था तथा सतलोक आदि को दिखाया था, परन्तु हजरत मुहम्मद जी ने पूर्ण परमात्मा की बात पर विश्वास नहीं किया था। उसी का वर्णन है।} तारीफ के साथ उसकी पाकी ब्यान करते रहो और वह कबीर अल्लाह अपने बंदो के गुनाहों से खबरदार है तथा वही (ईवादही खबीरा/कबीरा) कबीर परमात्मा अर्थात् अल्लाहू अकबर पूजा के योग्य है। (58) वह कबीर अल्लाह वही है जिसने छः दिन में सर्व ब्रह्मण्डों को रचा तथा सातवें दिन तख्त पर विराजा। वास्तव में वह अल्लाह कबीर रहमान (क्षमा शील) है। उसके विषय में मैं (र्कुआन शरीफ/मजीद का ज्ञान दाता) नहीं जानता। उसकी खबर अर्थात् पूर्ण ज्ञान व भक्ति की विधि किसी बाखबर (तत्वदर्शी संत) से पूछो। (आयत 59)
उपरोक्त विवरण से यह भी सिद्ध हुआ कि प्रभु एक नहीं अनेक हैं तथा तीनों देवता (श्री ब्रह्मा जी, श्री विष्णु तथा श्री शिव जी) ही तीनों लोकों के प्राणियों को संस्कारवश लाभ व हानि तथा उत्पत्ति, स्थिति तथा संहार के कारण हैं तथा ब्रह्म(काल) सर्व को धोखा देकर रखता है। पूर्ण परमात्मा कबीर ही सर्व सुखदायक, सर्व के पूजा के योग्य तथा पूर्ण मोक्ष दायक है।
पूज्य कबीर परमेश्वर बता रहे हैं कि मैंने उस मुल्ला जी से कहा कि जिस बाखबर(तत्वदृष्टा) संत के लिये आपका अल्लाह संकेत कर रहा है। उस तत्वदृष्टा संत द्वारा दिया ज्ञान ही पूर्ण मोक्ष दायक है। वह वास्तविक भक्ति मार्ग न तो हजरत मुहम्मद जी को प्राप्त हुआ, न आप मुल्ला, काजियों व पीरों को। इसलिए आज तक जो भी साधना आप कर रहे हो वह अधूरी है। केवल ब्रह्म (काल/ज्योति निरंजन) का फैलाया भ्रम जाल है। यह नहीं चाहता कि साधक उसके जाल से निकल जाए। पूज्य कबीर परमेश्वर ने बताया वह बाखबर (अर्थात् तत्वदर्शी संत) मैं हूँ। आप मेरे से उपदेश लो तथा यह तत्व ज्ञान जो मैं आपको बताऊंगा अन्य भक्ति चाहने वालों को भी समझाओ। यह तो काल है जिसे वेदों में ब्रह्म(क्षर पुरुष/ज्योति निरंजन) कहा जाता है। पूर्ण परमात्मा कोई और है जिसे वेदों में कविर्देव कहा है तथा र्कुआन शरीफ(मजीद) में कबीरन्, कबीरा, खबीरन्, खबीरा आदि कहा है तथा जिसे हजरत मुहम्मद जी ने अल्लाहु अकबर कहा है। वह कबीर अल्लाह मैं हूँ। आप सर्व मेरी आत्मा हो। आपको काल(ब्रह्म) ने भ्रमित किया है।
बन्दी छोड़ कबीर परमेश्वर ने आगे बताया - यह वार्ता सुनकर वह मुल्ला मुझसे अति नाराज हो गया तथा आगे से उसकी कथा में न आने को कहा। पूज्य कबीर परमेश्वर से उपरोक्त विवरण जानकर बादशाह सिंकदर लौधी ने अपने धार्मिक गुरू शेखतकी से कहा ‘‘पीर जी, क्या र्कुआन शरीफ में महाराज कबीर साहेब जी द्वारा बताया विवरण है?’’ शेखतकी ने र्कुआन शरीफ में सूरत फुरकानी 25 आयत 52 से 59 को ध्यान से पढ़ा तथा सत्य को जाना परन्तु मान वश कह दिया कि कबीर जी तो झूठा है। यह क्या जाने पवित्र र्कुआन शरीफ के गूढ रहस्य को। यह कहकर अति नाराजगी व्यक्त करता हुआ उठ कर अपने कमरे में चला गया। बादशाह सिकंदर लौधी भी र्कुआन शरीफ को सुना करता था तो उसे याद आया कि ऐसा वर्णन अवश्य आता है। फिर भी भक्ति मार्ग तथा अरबी भाषा का ज्ञान न होने के कारण पूर्ण विश्वास नहीं हुआ। परन्तु हजरत मुहम्मद जी के जीवन चरित्र से पूर्ण परिचित था। उससे बहुत प्रभावित हुआ तथा कहा कि सच-मुच हजरत मुहम्मद जी के जीवन में कष्ट ही कष्ट रहे हैं।