पंडित की परिभाषा
पंडित कहते हैं विद्वान को। मेरे पूज्य गुरू जी ब्राह्मण जाति में गाँव-बड़ा पैंतावास, तहसील-चरखी दादरी, जिला-भिवानी (हरियाणा) में जन्मे थे। वे अपने आपको कभी पंडित नहीं कहते थे।
मेरे दादा गुरूजी (मेरे गुरू जी के गुरू जी) गाँव-छावला (दिल्ली में नजफगढ़ के पास) के जाट थे। वे छोटी आयु में ही संत गंगेश्वरानंद जी के सत्संग से प्रभावित होकर उनके साथ हरिद्वार चले गए थे। संत गंगेश्वरानंद जी ने उनको काशी विद्यापीठ में पढ़ने के लिए छोड़ा। वे तीक्ष्ण बुद्धि के धनी थे। चार विषयों में आचार्य की डिग्री प्राप्त की। जिस कारण से जाट होते हुए भी पंडित चिदानंद जी के नाम से पुकारे जाते थे। गाँव गोपालपुर (तहसील-खरखोदा, जिला-सोनीपत, प्रान्त-हरियाणा) में उनका आश्रम है। उस पर बोर्ड लगा है, ’’पंडित चिदानंद जी (गरीब दासी) आश्रम, गोपालपुर।‘‘ उनका नाम चिदांनद जी था। कोई ब्राह्मण भाई दुःख ना माने, इसलिए पंडित की परिभाषा बताना अनिवार्य था, सो बताई है।