रूमी का परिचय
रूमी विश्व के जाने-माने कवि हैं और कबीर साहिब के बाद दूसरा नंबर रूमी का आता है। पश्चिमी देशों में रूमी काफी मशहूर हैं। रूमी की कविताएँ अमेरिका में सबसे ज्यादा बिकती हैं। रूमी की रचनाएँ Mansnavi और Diwan-e-Kabir को Melvana Museum, Konya, Turkey में रखा गया है। रूमी की मजार Konya, Turkey में स्थित है। उसी के साथ रूमी के मुर्शीद समस्तरबेज की भी कृत्रिम कब्र बनी हुई है। हर साल पूरे विश्व से लाखों लोग रूमी की मजार का सजदा करने जाते हैं और हैरत की बात ये है कि मुसलमानों से ज्याद गैर-मुसलमान जाते हैं।
रूमी की समस्तरबेज से मुलाकात:-
रूमी शहर कोणया, टर्की देश की मस्जिद के सबसे बड़े मौलवी थे और मुसलमान धर्म का प्रचार-प्रसार किया करते थे और उनके बहुत से शागिर्द थे।
15th November 1244 की रोज एक 60 साल का सफेद दाढ़ी वाला शख्स सर से एड़ी तक काला लिबास पहने हुए कोणया के महशूर चीनी बाजार में व्यापारियों की सराय में पहुँचा। इस शख्स का नाम समस्तरबेज (Shams Tabrizi) था। पूछने पर लोगों को बताया कि मैं एक राह चलता व्यापारी हूँ। वो वहाँ जैसे कुछ खोज रहे थे और आखिरकार उन्हें रूमी घोड़े की सवारी करते हुए दिखाई दिया।
एक दिन एक हौज (तालाब) के किनारे रूमी पुरानी इल्मी किताबों का एक ढ़ेर रखकर बैठे थे और अपने शागिर्दों को पढ़ा रहे थे। समस्तरबेज वहाँ से गुजरे और उन किताबों के ढ़ेर की तरफ इशारा करते हुए रूमी से पूछा, ये क्या है? रूमी ने व्यंग्यपूर्वक उत्तर दिया, बाबा ’’ये वो है जो तू नहीं जानता।‘‘ ये सुन समस्तरबेज ने उन किताबों को हौज में धक्का दे दिया। ये देख रूमी आग-बबूला हो गए और कहा हे बदबक्त! ये तूने क्या किया? क्या तू जानता है ये किताबें कितनी कीमती थी? ये सुनकर समस्तरबेज हौज में कूद गए और एक-एक कर सारी किताबें पानी से बाहर निकालकर रख दी और एक भी किताब गीली नहीं हुई थी। उलटा उनमें से धूल निकल रही थी। ये हैरतंगेज नजारा देख रूमी दंग रह गया और समस्तरबेज से पूछा, बाबा ये क्या है? समस्तरबेज ने उत्तर दिया ’’ये वो है जो तू नहीं जानता‘‘, और वहाँ से चले गए।
अगले दिन रूमी अपने घोड़े पर सवार होकर बाजार में पहुँचे। वहाँ लोग आदर-सत्कार में उनका हाथ चूम रहे थे। तब अचानक समस्तरबेज वहाँ पहुँचे और रूमी के घोड़े की लगाम पकड़ ली। रूमी पहचान गया कि ये तो वही बाबा है, रूमी भी उनसे मिलना चाह रहे थे। बाबा ने कहा कि रूमी एक मसला है, मुझे ये बताओ कि मुहम्मद बड़ा या बायाजिद बसतामी (Bayazid Bastami) बड़ा? (इंटरनेट पर ऐसा विवरण मिलता है कि मंसूर-अल-हल्लाज जिसने अनल हक्क का नारा लगाया था, बायाजिद बसतामी उनके जीवन को प्रभावित करने वालों में से एक हैं) रूमी ने कहा ये तो बच्चा भी जानता है, मुहम्मद बड़ा है। बाबा ने कहा अगर मुहम्मद बड़ा है तो उसने ये क्यों कहा कि ’’हे अल्लाह! मैं तुझे नहीं जानता, तू कौन है?‘‘ और बायाजिद बसतामी ने ये क्यों कहा कि ’’हे अल्लाह! तू पाक है, तू बादशाहों का बादशाह है और तेरी बड़ी शान है।‘‘ दोनों के बीच काफी लंबी चर्चा होती है और बाबा के तर्क सुनकर रूमी बेहोश होकर घोड़े से नीचे गिर पड़ता है। रूमी की आँखें खुली तो अपना सिर बाबा की गोद में पाया। बाबा रूमी को लेकर शहर से दूर चले जाते हैं। इसके बाद समस्तरबेज कोणया से गायब हो जाते हैं। रूमी उनकी याद में पागल-सा हो जाता है और बाबा की खोज में भटकने लगता है। एक वर्ष बाद रूमी को किसी से पता लगता है कि समस्तरबेज को Damascus (आज Syria देश का एक शहर) में देखा गया है। रूमी अपने बड़े लड़के से कहता है कि घर में जो सोना, चाँदी, गहने, पैसा पड़ा है, सब ले जा और बाबा को यहाँ ले आओ। रूमी का बड़ा लड़का Damascus पहुँचकर समस्तरबेज के नाम पर भंडारा खोल देता है और देखता है कि कुछ दूरी पर बाबा एक लड़के के साथ शतरंज खेल रहे हैं। रूमी का लड़का बाबा से विनती करके उन्हें घोड़े पर बैठाकर कोणया ले आता है। रूमी कहता है कि बाबा आप क्यों गायब हो गए थे। आपने मेरे साथ ऐसे क्यों किया? मैं एक साल से आपकी याद में तड़फ रहा था। बाबा कहते हैं अगर मैं गायब ना होता तो तेरे दिल में आज ये आग ना होती। बाबा रूमी को इल्म देते हैं जिसे पाने के बाद रूमी अपनी पारंपरिक पूजा-पाठ छोड़ देता है। ये देख रूमी के शागिर्द समस्तरबेज से ईष्र्या करने लगते हैं।
एक रोज रूमी अपने मुर्शीद समस्तरबेज के साथ अपनी कुटिया में बैठे थे। तब रूमी का छोटा लड़का व कुछ शागिर्द समस्तरबेज के कत्ल के इरादे से वहाँ पहुँच जाते हैं और समस्तरबेज को आवाज लगाते हैं। समस्तरबेज रूमी से कहते हैं कि बस! अब मेरा जाने का वक्त आ गया है। शागिर्द जैसे ही उनको मारने के लिए तलवार उठाते हैं, समस्तरबेज अदृश्य हो जाते हैं।