इस्लाम की अनसुलझी पहेली
यदि पुनर्जन्म न माना जाए तो निम्न प्रश्नों के उत्तर इस्लामिक प्रवक्ताओं के पास नहीं हैं:-
जैसे कोई निर्धन है, कोई धनवान है। कोई औलाद वाला है, कोई निःसंतान है। कोई रयत है, कोई महाराजा सुल्तान है। कोई अंधा है, कोई लंगड़ा है, कोई सर्वांगवान है। यह विचार करना अनिवार्य है कि उपरोक्त अंतर किस कारण से हैं। यदि पुनर्जन्म नहीं मानें तो ये अनसुलझी पहेली सदा बनी रहेगी। यदि हम पुनर्जन्म मानते हैं तो सुलझ जाती है। संत गरीबदास जी ने कहा है कि:- ’’पिछले जप-तप से होत हैं पूर्ण हंस मुराद।‘‘
अर्थात् हे भक्त आत्मा! पूर्व जन्म में किए जाप व तप से मन्नत (मुराद) पूर्ण होती है। पहले वाले जन्मों में जिसने जैसा जप तथा तप किया है या पाप-पुण्य किया है। उसी के आधार से कोई राजा बना है, कोई बड़ा राज अधिकारी बना है, कोई बड़ा सेठ धनवान बना है। कोई निर्धन है, कोई अंधा है, कोई लंगड़ा है। कोई रोगी है, कोई स्वस्थ है। कोई नौकर है, कोई नौकरानी (लौंडी) है। कोई रानी, कोई महारानी है। कोई पूर्ण आयु जीवित रहता है, कोई अल्प आयु में मर जाता है। कोई पशु है, कोई पक्षी है। कोई गंदी नाली के कीड़े हैं। यह सब पूर्व जन्मों में किए कर्मों के आधार से ही होता है।