जगन्नाथ के पांडे की कबीर जी द्वारा रक्षा
काशी शहर में बैठे कबीर परमेश्वर जी ने जगन्नाथ मंदिर के पाण्डे के पैर को गर्म खिचड़ी प्रसाद से जलने से बचाया। प्रकरण इस प्रकार हैः-
एक समय दिल्ली का राजा सिकंदर लोधी काशी नगर में गया हुआ था। बन्दी छोड़ कबीर परमेश्वर जी अपने साथ भक्त रविदास जी को लेकर राजदरबार में स्वाभाविक पहुँच गए। दोनों को अच्छा आसन बैठने को दिया तथा राजा सिकंदर लोधी तथा काशी नरेश वीर देव सिंह बघेल भी साथ में बैठ गए। कुछ समय उपरान्त परमेश्वर कबीर जी ने अपने पैर पर अपने कमण्डल (एक पानी का भरा लोटा जो कबीर जी साथ रखते थे) से जल डाला तो सिकंदर राजा तथा वीर देव सिंह बघेल ने पूछा कि महात्मा जी आपने अपने पैर पर जल किस लिए डाला? परमेश्वर कबीर जी ने उत्तर दिया कि जगन्नाथ पुरी में एक रामसहाय पाण्डा खिचड़ी प्रसाद उतार रहा था। गर्म खिचड़ी उसके पैर पर गिर गई। उस के पैर को जलने से बचाया है। यह जल उसके पैर पर गिरा है।
insert pic here (काशी शहर में बैठे कबीर जी ने जगन्नाथ के मंदिर में पांडे के पैर को जलने से बचाया)
इस बात की सत्यता को जानने के लिए राजाओं ने तुरंत दो सिपाही भेजे जो ऊंटों पर सवार होकर जगन्नाथ पुरी के मंदिर में 10 दिन में पहुंचे। वहां जाकर पता किया और उसी रामसहाय पाण्डे से पूछा। वहां पर उस समय उपस्थित कई पाण्डे भी घटना के प्रत्यक्ष दृष्टा थे। उन सब ने बताया कि कबीर जी यहाँ मन्दिर में उपस्थित थे। मैं खिचड़ी प्रसाद का टोकना उतार रहा था। उबलता प्रसाद मेरे इस पैर पर गिरा। उस समय कबीर जी ने अपने कमण्डल से हिम जल (बर्फ जैसा शीतल जल) मेरे पैर पर डाला। मेरी चीख निकल गई थी, बहुत से व्यक्ति यहाँ इकट्ठे हो गए थे। मुझे तुरन्त राहत मिल गई। अन्यथा मेरा पैर जल जाता। सिपाहियों ने पूछा ‘‘कौन कबीर है जिस ने तेरे पैर पर शीतल जल डाला था। रामसहाय ने बताया कि काशी वाला जुलाहा कबीर था। वह प्रतिदिन यहाँ आते हैं। कुछ देर सत्संग करते हैं।
यह सारा वृत्तांत लिखवा कर सिपाही आए और घटना सत्य बताई। दोनों राजाओं ने आश्चर्य किया और कहा कि पृथ्वी पर राम रहीम स्वयं आए हैं। ये केवल जुलाहा (कपड़ा बुनकर) ही नहीं हैं। ये तो संसार के भी निर्माता हैं।