बेई नदी में प्रवेश
”जीवन दस गुरु साहेब से ज्यों का त्यों सहाभार“
गुरु जी प्रत्येक प्रातः बेई नदी में जो कि शहर सुलतानपुर के पास ही बहती है, स्नान करने के लिए जाते थे। एक दिन जब आपने पानी में डुबकी लगाई तो फिर बाहर न आए। कुछ समय ऊपरान्त आप जी के सेवक ने, जो कपड़े पकड़ कर नदी के किनारे बैठा था, घर जाकर जै राम जी को खबर सुनाई कि नानक जी डूब गए हैं तो जै राम जी तैराकों को साथ लेकर नदी पर गए। आप जी को बहुत ढूंढा किन्तु आप नहीं मिले। बहुत देखने के पश्चात् सब लोग अपने घर चले गए।
भाई जैराम जी के घर बहुत चिन्ता और दुःख प्रकट किया जा रहा था कि तीसरे दिन सवेरे ही एक स्नान करने वाले भक्त ने घर आकर बहिन जी को बताया कि आपका भाई नदी के किनारे बैठा है। यह सुनकर भाईआ जैराम जी बेई की तरफ दौड़ पड़े और जब जब पता चलता गया और बहुत से लोग भी वहाँ पहुँच गए। जब इस तरह आपके चारों तरफ लोगों की भीड़ लग गई आप जी चुपचाप अपनी दुकान पहुँच गए। आप जी के साथ स्त्राी और पुरूषों की भीड़ दुकान पर आने लगी। लोगों की भीड़ देख कर गुरु जी ने मोदीखाने का दरवाजा खोल दिया और कहा जिसको जिस चीज की जरूरत है वह उसे ले जाए।
मोदीखाना लुटाने के पश्चात् गुरु जी फकीरी चोला पहन कर शमशानघाट में जा बैठे। मोदीखाना लुटाने और गुरु जी के चले जाने की खबर जब नवाब को लगी तो उसने मुंशी द्वारा मोदीखाने की किताबों का हिसाब जैराम को बुलाकर पड़ताल करवाया। हिसाब देखने के पश्चात् मुंशी ने बताया कि गुरु जी के सात सौ साठ रूपये सरकार की तरफ अधिक हैं। इस बात को सुनकर नवाब बहुत खुश हुआ। उसने गुरु जी को बुलाकर कहा कि उदास न हो। अपना फालतू पैसा और मेरे पास से ले कर मोदीखाने का काम जारी रखें। पर गुरु जी ने कहा अब हमने यह काम नहीं करना हमें कुछ और काम करने का भगवान् की तरफ से आदेश हुआ है। नवाब ने पूछा क्या आदेश हुआ है ? तब गुरु जी ने मूल-मंत्र उच्चारण किया।
1 ओंकार सतिनामु करता पुरखु निरभउ निरवैरू अकाल मूरति अजूनी सब गुरप्रसादि।
नवाब ने पूछा कि यह आदेश आपके भगवान् ने कब दिया ? गुरु जी ने बताया कि जब हम बेई में स्नान करने गए थे तो वहाँ से हम सच्चखण्ड अपने स्वामी के पास चले गए थे वहाँ हमें आदेश हुआ कि नानक जी यह मंत्र आप जपो और बाकियों को जपा कर कलयुग के लोगों को पार लगाओ। इसलिए अब हमें अपने मालिक के इस हुक्म की पालना करनी है। इस सन्दर्भ को भाई गुरदास जी वार 1 पउड़ी 24 में लिखते हैं
बाबा पैधा सचखण्ड नउनिधि नाम गरीबी पाई।।
अर्थात् बाबा नानक जी सचखण्ड गए। वहाँ आप को नौनिधियों का खजाना नाम और निर्भयता प्राप्त हुई। यहाँ बेई किनारे जहाँ गुरु जी बेई से बाहर निकल कर प्रकट हुए थे, गुरु द्वारा संत घाट अथवा गुरुद्वारा बेर साहिब, बहुत सुन्दर बना हुआ है। इस स्थान पर ही गुरु जी प्रातः स्नान करके कुछ समय के लिए भगवान् की तरफ ध्यान करके बैठते थे।
जीवन दस गुरु साहेब नामक पुस्तक से लेख समाप्त